Patanjali Case: पतंजलि ने 14 प्रोडक्ट पर रोक लगाई, 5600 दुकानों से वापस मंगाया, 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई
Patanjali Case: पतंजलि आयुर्वेद ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि उन 14 उत्पादों की बिक्री रोक दी गयी है। इसके अलावा 5,606 फ्रैंचाइजी दुकानों को 14 उत्पादों का निर्माण लाइसेंस निलंबित होने के बाद उन्हें वापस लेने का निर्देश भी दिया गया है।
पतंजलि पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
Patanjali Case:भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (9 जुलाई) को सुनवाई हुई। इसके पहले जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच ने 14 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद से पूछा था कि जिन 14 प्रोडक्ट्स के लाइसेंस कैंसिल किए गए हैं, उनके विज्ञापन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। इस पर अब पतंजलि आयुर्वेद ने आज कोर्ट जवाब दिया है। इसके पहले कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को अवमानना नोटिस जारी किया था।
पतंजलि ने कोर्ट में क्या कहा
पतंजलि आयुर्वेद ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि उन 14 उत्पादों की बिक्री रोक दी गयी है जिनके निर्माण का लाइसेंस उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने निलंबित कर दिया था। इसके अलावा 5,606 फ्रैंचाइजी दुकानों को 14 उत्पादों का निर्माण लाइसेंस निलंबित होने के बाद उन्हें वापस लेने का निर्देश भी दिया गया है।
अगली सुनवाई 30 जुलाई को
आज हुई सुनवाई के बाद पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद को दो हफ्ते के भीतर एक हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि क्या विज्ञापन हटाने के लिए सोशल मीडिया मंचों से किए गए अनुरोध पर अमल किया गया कि नहीं ?और क्या इन 14 उत्पादों के विज्ञापन वापस ले लिए गए हैं।पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख तय की।
क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट में IMA ने 17 अगस्त 2022 को याचिका दायर की थी। पतंजलि पर ये आरोप लगाए गए कि कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं अपनीआयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया। IMA का तर्क था कि हर कंपनी को अपने प्रोडक्ट्स का प्रचार करने का हक है, लेकिन पतंजलि के दावे 'ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954' और 'कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019' का उल्लंघन करते हैं। याचिका में बाबा रामदेव के दिए कुछ विवादास्पद बयानों का भी जिक्र किया गया। जिसके बाद से यह मामला कोर्ट में चल रहा है।
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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