Petrol-Diesel Under GST: GST के दायरे में आ सकते हैं पेट्रोल-डीजल, मगर ये है चुनौती
Petrol-Diesel Under GST: केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर रोशनी डाली कि 1.4 अरब की आबादी और वैश्विक औसत से तीन गुना अधिक ऊर्जा खपत के साथ, भारत वैश्विक ऊर्जा मामले में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि अगले दो दशकों में, भारत विश्व की ऊर्जा खपत में 25 प्रतिशत की वृद्धि में योगदान दे सकता है।
पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में
- पेट्रोल-डीजल पर बदल सकता है टैक्स सिस्टम
- आ सकते हैं GST के दायरे में
- केंद्रीय मंत्री का बड़ा बयान
Petrol-Diesel Under GST: केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक बार फिर पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाने पर आम सहमति बनाने की बात कही है। पुरी ने बीते शुक्रवार, 27 सितंबर को पुणे इंटरनेशनल सेंटर (पीआईसी) के 14वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में "आने वाले दशक में भारत की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के लिए रणनीति और उपाय" (Strategy and Measures for Enhancing India's Energy Security in the Coming Decade) पर व्याख्यान देते हुए यह बात कही।
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वित्त मंत्री भी हैं राजी
एएनआई के अनुसार सिंह ने कहा कि मैंने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के सुझाव के बारे में सुना है। पेट्रोल और डीजल जीएसटी के तहत लाना ऐसा कदम है जिसकी मैं लंबे समय से वकालत कर रहा हूं। अब मुझे पूरा यकीन है कि मेरे वरिष्ठ सहयोगी, वित्त मंत्री ने भी कई मौकों पर फ्यूल को जीएसटी के तहत लाने की बात कही है।
उन्होंने आगे कहा कि देश की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के लिए भारत को स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम भंडारों पर ध्यान केंद्रित करने और आयात किए जाने वाले फ्यूल पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए एक्सप्लोरेशन और उत्पादन को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
ऊर्जा मामले में भारत की अहमियत
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर रोशनी डाली कि 1.4 अरब की आबादी और वैश्विक औसत से तीन गुना अधिक ऊर्जा खपत के साथ, भारत वैश्विक ऊर्जा मामले में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि अगले दो दशकों में, भारत विश्व की ऊर्जा खपत में 25 प्रतिशत की वृद्धि में योगदान दे सकता है।
पेट्रोल और डीजल से काफी रेवेन्यू आता है
पुरी ने इस बात पर जोर दिया कि इस लक्ष्य (पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना) को प्राप्त करने के लिए सभी राज्यों की सर्वसम्मति की आवश्यकता है और उन्होंने राज्यों को इसमें शामिल करने में चुनौतियों को स्वीकार किया, क्योंकि पेट्रोल और डीजल से उन्हें महत्वपूर्ण रेवेन्यू मिलता है।
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