PMI Manufacturing: अगस्त में मैन्युफैक्चरिंग गिरी, कारोबारियों का सेंटीमेंट बिगड़ा, जानें क्यों हुआ ऐसा

PMI Manufacturing: सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में नए कारोबार में तेजी से वृद्धि हुई, लेकिन विस्तार की गति सात महीने के निचले स्तर पर आ गई। इसी तरह, नए निर्यात ऑर्डर 2024 कैलेंडर वर्ष की शुरुआत के बाद से सबसे कम गति से बढ़े।

मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई

PMI Manufacturing: भारत के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि दर अगस्त में धीमी रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उत्पादन व बिक्री जनवरी के बाद से सबसे कम दर से बढ़ी है। इसके अलावा कंप्टीशन तथा महंगाई की चिंताओं ने कारोबारी विश्वास को ङी प्रभावित किया। सोमवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। 'एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक' (पीएमआई) अगस्त में गिर गया है। सूचकांक अगस्त में 57.5 रहा, जो जुलाई में 58.1 था ।

अभी क्यों नहीं है टेंशन

पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है। इसी आधार पर एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) प्रांजुल भंडारी ने कहा कि अगस्त में भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में विस्तार जारी रहा, हालांकि विस्तार की गति थोड़ी धीमी रही। नए ठेकों और उत्पादन में मुख्य रुझान देखने को मिला, हालांकि कुछ कारोबारियों ने मंदी के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा को एक मुख्य वजह बताया।

सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में नए कारोबार में तेजी से वृद्धि हुई, लेकिन विस्तार की गति सात महीने के निचले स्तर पर आ गई। इसी तरह, नए निर्यात ऑर्डर 2024 कैलेंडर वर्ष की शुरुआत के बाद से सबसे कम गति से बढ़े।कीमतों के मोर्चे पर, वस्तु उत्पादकों को अगस्त के दौरान लागत दबाव में कमी से लाभ हुआ।

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