PMI Manufacturing: जुलाई में मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों में मामूली गिरावट, PMI घटकर 58.1 हुआ

PMI Manufacturing: पीएमआई में जुलाई में विस्तार की गति मामूली धीमी रही लेकिन अधिकतर घटकों के मजबूत स्तर पर बने रहने के कारण यह छोटी गिरावट चिंता का कारण नहीं है। मांग में उछाल ने भी कीमतों पर दबाव डाला। कच्चे माल की लागत में करीब दो वर्षों में सबसे तेज वृद्धि हुई है।

मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई

PMI Manufacturing:भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई माह में मामूली रूप से धीमी रही। नए ऑर्डर और उत्पादन की धीमी रफ्तार इसकी मुख्य वजह रही। दूसरी ओर लागत दबाव तथा मांग में मजबूती के कारण अक्टूबर 2013 के बाद से बिक्री कीमतों में सबसे अधिक वृद्धि हुई। ऐसे में 'एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक' (PMI) जुलाई में घटकर 58.1 हो गया जो जून में 58.3 था। बृहस्पतिवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई। पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है।

क्यों रफ्तार हुई स्लो
एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि भारत के मुख्य मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में जुलाई में विस्तार की गति मामूली धीमी रही लेकिन अधिकतर घटकों के मजबूत स्तर पर बने रहने के कारण यह छोटी गिरावट चिंता का कारण नहीं है। भारतीय विनिर्माताओं ने जून से मंदी के बावजूद नए ऑर्डर में पर्याप्त वृद्धि की जानकारी दी हैं। एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और पश्विम एशिया में स्थित ग्राहकों की ओर से मांग में मजबूती की भी खबर है। भारतीय विनिर्माताओं ने जुलाई में अंतरराष्ट्रीय बिक्री में मजबूत वृद्धि का अनुभव किया।सर्वेक्षण के अनुसार, विस्तार की समग्र दर उल्लेखनीय रही और 13 वर्षों में दूसरी सबसे मजबूत थी।

कच्चे माल की लागत में बढ़ोतरी
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