लुढ़क गईं आलू की कीमतें, चावल में भी गिरावट, दाम घटने की ये है वजहें
Potato, Rice Price: आलू और चावल की कीमतों में कमी आई है। अधिक आपूर्ति की वजह से आलू की कीमतों में 20 दिनों में 8% की गिरावट आई है। उधर खरीफ फसल की उम्मीदें ने चावल की कीमतों में गिरावट ला दी है। जानिए यह सब क्यों हुआ।
आलू-चावल की कीमतों गिरावट (तस्वीर-Canva)
Potato, Rice Price: भोजन के प्रमुख पदार्थ आलू और चावल की कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है। पिछले तीन महीनों से स्थिर बने आलू की कीमतों में पिछले 20 दिनों में 8 प्रतिशत की गिरावट आई है क्योंकि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कोल्ड स्टोरेज आलू से भरे हुए हैं, जिन्हें नवंबर से पहले इस्तेमाल किया जाना है। इसी बीच बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जुलाई के तीसरे सप्ताह में आलू की अंतर-राज्यीय आवाजाही रोक दी थी और उत्तर प्रदेश से उत्तर-पूर्वी राज्यों में आलू ले जाने वाले ट्रकों की आवाजाही की भी अनुमति नहीं दी, जिसके परिणामस्वरूप अधिक आपूर्ति हो गई और कीमतें लुढ़क गईं।
सप्लाई चेन बाधित होने से कीमतों गिरावट
इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक 20 दिन पहले आलू की कीमत 36 रुपये प्रति किलो थी, जो अब 34 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई है। हालांकि ममता बनर्जी ने पिछले मंगलवार को अगले 7 दिनों के लिए आलू के अंतर-राज्यीय व्यापार की अनुमति दी थी, यह सोचकर कि राज्य में आलू की कमी नहीं होगी और कीमतें नहीं बढ़ेंगी, लेकिन उत्तर प्रदेश के आलू व्यापारियों का कहना है कि आलू की आवाजाही रोकने के अचानक फैसले से सप्लाई चेन बाधित हुई है।
भरे हैं कोल्ड स्टोरेज
यूपी के आलू व्यापारियों ने बताया कि उनके कुल उत्पादन 163 लाख टन का 50 प्रतिशत हिस्सा अभी भी कोल्ड स्टोरेज में पड़ा है और उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में कीमतों में और गिरावट आएगी। फेडरल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव अरविंद अग्रवाल ने कहा कि महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ से नई फसल जल्द ही आनी शुरू हो जाएगी। हमारे कोल्ड स्टोरेज में बहुत अधिक स्टॉक है। पहले उसे खत्म करना होगा।
पश्चिम बंगाल की वजह से कीमतें गिरीं
इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आलू की अंतर-राज्यीय आवाजाही रोकने के कदम ने असम, ओडिशा और बिहार जैसे राज्यों को आलू के लिए वैकल्पिक स्रोतों पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। अब कीमतें गिरने लगी हैं। पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के सदस्य पतित पावन डे ने कहा कि इस साल कोल्ड स्टोरेज में 62 लाख टन आलू भरा गया है। अभी तक 12 लाख टन आलू अभी भी कोल्ड स्टोरेज में पड़े हैं। राज्य को हर महीने 4 लाख टन आलू की जरुरत है। राज्य की खपत पूरी करने के बाद भी कोल्ड स्टोरेज में काफी मात्रा में आलू बच जाएगा। कीमतें पहले ही गिर चुकी हैं और संभावना है कि आगे भी गिर सकती हैं।
इस वजह से गिरी चावल की कीमत
इस साल खरीफ की फसल अच्छी होने की उम्मीद है, इसलिए चावल की कीमतों में भी गिरावट आनी शुरू हो गई है। चावल निर्यात और मार्केटिंग कंपनी राइसविला के सीईओ सूरज अग्रवाल ने कहा कि पिछले तीन महीनों में खुदरा स्तर पर बासमती चावल की कीमतें 75 रुपये प्रति किलोग्राम से गिरकर 60 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई हैं, क्योंकि निर्यात बाजार इतना मजबूत नहीं है, क्योंकि अन्य देश वैश्विक बाजारों में भारत की तुलना में कम कीमत पर चावल की पेशकश कर रहे हैं। भारत ने बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य 950 डॉलर प्रति टन तय किया है।
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