निजीकरण के इस युग में आज भी सरकारी बैंक जरूरी, बड़े बैंक का मॉडल फुल प्रूफ नहीं

Bank Nationalisation Day: सरकार का कहना है की आज के समय में छोटे छोटे बैंकों की आवश्यकता नहीं है बल्कि 6 से 7 बड़े बैंकों की आवश्यकता है । लेकिन सरकार का यह तथ्य सही नहीं है क्योंकि 2008 में विश्व में बैंकिंग में संकट के समय बड़े बड़े बैंक भी ध्वस्त हो गये थे ।

सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजनेशन सही नहीं

Bank Nationalisation Day:निजीकरण के इस युग में आज भी सरकारी बैंकों का अस्तित्व प्रासंगिक बना हुआ है। 19 जुलाई 1969 को तत्कालीन सरकार ने देश के 14 प्रमुख बैंकों का पहली बार राष्ट्रीयकरण किया था। साल 1969 के बाद 1980 में पुनः 6 बैंक राष्ट्रीयकृत हुए थे। 19 जुलाई 2024 को बैंकों के राष्ट्रीयकरण के 55 वर्ष पूरे हो रहे हैं। आर्थिक तौर पर सरकार को लग रहा था कि प्राइवेट बैंक देश के सामाजिक उत्थान की प्रक्रिया में सहायक नहीं हो रहे थे।
उस समय देश के 14 बड़े बैंकों के पास देश की लगभग 80 फीसदी पूंजी थी। इनमें जमा पैसा उन्हीं सेक्टरों में निवेश किया जा रहा था, जहां लाभ के ज़्यादा अवसर थे। वहीं सरकार की मंशा कृषि, लघु उद्योग और निर्यात में निवेश करने की थी। दूसरी तरफ एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 1947 से लेकर 1955 तक 360 छोटे-मोटे बैंक डूब गए थे जिनमें लोगों का जमा करोड़ों रूपया डूब गया था। 1969 में राष्ट्रीयकरण के बाद से आज तक भी कई प्राइवेट बैंक डूबने की स्थिति में आये जिन्हें सरकारी बैंकों द्वारा ही संभाला गया। यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक का ताजा उदाहरण हमारे सामने है । लेकिन आज तक कोई सरकारी बैंक नहीं डूबा, क्योंकि इन पर सरकार और रिजर्व बैंक का पूरा नियन्त्रण है। 2023-24 में इन्ही सरकारी बैंकों ने 1.41 लाख करोड़ का लाभ कमाया है और अभी तक चार बैंकों ने 6481 करोड़ लाभांश के रूप में सरकार को दिया है ।

आम आदमी तक पहुंचे बैंक

सरकारी बैंकों को गांवों तक पहुँचने के उदेश्य से 1975 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना की गई। आज देश में 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की 26 राज्यों और 3 केन्द्रीय शासित प्रदेशों में लगभग 22000 शाखाएं हैं। 1980 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण का दूसरे चरण में छह निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। इसके विपरीत 1991 के आर्थिक सुधार के बाद सरकार बैंकों के निजीकरण की ओर आगे बढ़ी , जिसे 'नई आर्थिक नीति या एलपीजी नीति' के रूप में भी जाना जाता है। 1994 में नये प्राइवेट बैंकों का युग प्रारम्भ हुआ । आज देश में 8 न्यू प्राइवेट जनरेशन बैंक और 13 ओल्ड प्राइवेट जनरेशन बैंक कुल मिलकर 21 प्राइवेट बैंक काम कर रहे हैं। 2018 में सरकार ने इण्डिया पोस्ट पेमेंट बैंक की स्थापना की जिसका उदेश्य पोस्ट ऑफिस के नेटवर्क का इस्तेमाल करके बेंकिंग को गाँव गाँव तक पहुंचाना था । इसके साथ साथ और कई प्राइवेट पेमेंट बैंकों की भी शुरुआत हुई ।
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