Ratan Tata Birthday: रतन टाटा के वो कदम जो इतिहास बन गए! जानिए उनकी प्रेरक कहानी
Ratan Tata birth anniversary: रतन टाटा का जीवन और उनके द्वारा किए गए प्रमुख योगदान को जानिए, जिन्होंने टाटा ग्रुप को वैश्विक शक्ति बनाई और भारतीय उद्योग जगत में क्रांति ला दी।
रतन टाटा का जीवन परिचय और उनके प्रमुख निर्णय।
Ratan Tata birth anniversary: रतन नवल टाटा का नाम भारत और दुनिया भर में बहुत सम्मान और श्रद्धा से लिया जाता है। टाटा ग्रुप के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा ने अपने नेतृत्व में इस उद्योग समूह को एक वैश्विक शक्ति बना दिया, जबकि उन्होंने इसके मूल्यों – ईमानदारी, गुणवत्ता और सामाजिक जिम्मेदारी – को कभी नहीं छोड़ा। आज उनकी जयंती के अवसर पर हम उनके यूनीक करियर पर एक नजर डालते हैं।
रतन टाटा का आज जन्मदिन है, उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वे टाटा परिवार के सदस्य थे, जो भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक परिवारों में से एक है। जब वे केवल 10 साल के थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया और इसके बाद उन्हें उनकी दादी के पास पला-बढ़ा।
रतन टाटा की टाटा ग्रुप में डेब्यू
रतन टाटा की टाटा ग्रुप से यात्रा 1961 में शुरू हुई थी, जब उन्होंने कंपनी में जूनियर मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में काम करना शुरू किया। उस समय उनकी उम्र केवल 24 वर्ष थी और उन्होंने हाल ही में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वास्तुकला में डिग्री प्राप्त की थी।
रतन टाटा की टाटा ग्रुप में अहम जिम्मेदारियाँ
1971 में रतन टाटा को नेशनल रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स (NELCO) का निदेशक नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने नेतृत्व करते हुए कंपनी की महत्वपूर्ण सुधार की दिशा तय की।
1981 में रतन टाटा को टाटा इंडस्ट्रीज का मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया गया, और फिर 1986 में उन्हें टाटा सन्स का डिप्टी चेयरमैन बना दिया।
रतन टाटा कब बने टाटा के चेयरमैन
1991 में, रतन टाटा ने टाटा सन्स के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला, जहां उन्होंने जेआरडी टाटा की जगह ली, जिन्होंने समूह का नेतृत्व पांच दशकों तक किया था। रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा ग्रुप ने कई महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सौदे किए, जिनमें से 2000 में ब्रिटेन की सबसे बड़ी चाय कंपनी टेटली का अधिग्रहण एक प्रमुख था।
जब रतन टाटा ने कराया जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण
2007 में टाटा स्टील ने कोरस, दुनिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनियों में से एक का अधिग्रहण किया, जिससे टाटा स्टील को वैश्विक स्तर पर जगह मिली।
2008 में रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने ब्रिटिश लक्जरी ऑटोमोटिव ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण किया, जो उनका सबसे साहसी कदम था।
नई कारों और नवाचारों की शुरुआत
1998 में टाटा मोटर्स ने टाटा इंडिका, भारत की पहली पूरी तरह से स्वदेशी कार लॉन्च की। 2008 में, उन्होंने दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो को पेश किया, जो केवल ₹1 लाख में उपलब्ध थी, और इसका उद्देश्य भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से को कार उपलब्ध कराना था।
रतन टाटा के सम्मान और पुरस्कार
रतन टाटा को 2000 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, और 2008 में उन्हें पद्म विभूषण, भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान से नवाजा गया।
नए कदम और टाटा सन्स का नेतृत्व
2012 में रतन टाटा ने टाटा सन्स के अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद, 2016 में अंतरिम चेयरमैन के रूप में वापसी की। 2017 में, उन्होंने टाटा सन्स के अध्यक्ष के रूप में एन चंद्रशेखरन को अपना उत्तराधिकारी सौंपा।
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