आरबीआई ने फिर रेपो रेट में नहीं किया बदलाव
RBI No Relief in EMI: जैसी उम्मीद थी, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर रेपो रेट (REPO RATE) में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकार रखा है। इस फैसले के बाद ईएमआई (EMI) पर कोई राहत नहीं मिलने वाली है। यानी लोगों को होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन सहित बिजनेस लोन न तो सस्ता मिलेगा और ना हीं पहले से कर्ज ले रखे लोगों की ईएमआई घटेगी। आरबीआई ने फरवरी 2023 से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि आरबीआई के विपरीत यूरोपीय सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ कनाडा ने अपनी-अपनी प्रमुख नीतिगत दरों में कटौती शुरू कर दी है। यानी कर्ज में कटौती शुरू कर दी है।
क्या बोले RBI गवर्नर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। निजी उपभोग में सुधार तथा ग्रामीण क्षेत्र की मांग मजबूत होने से केंद्रीय बैंक ने वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाया है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार को यहां द्विमासिक मौद्रिक नीति पेश करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी अनुमान के अनुसार 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है।उन्होंने कहा कि 2024-25 में अभी तक घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत हैं। घरेलू मांग बढ़ने से विनिर्माण गतिविधियों में तेजी आई है।’’दास ने कहा कि विभिन्न आर्थिक संकेतकों से पता चलता है कि सेवा क्षेत्र की रफ्तार भी कायम है।
गवर्नर ने कहा कि कुल मांग का मुख्य आधार निजी खपत है और शहरी क्षेत्रों में स्थिर विवेकाधीन खर्च के साथ इसमें सुधार हो रहा है।कृषि क्षेत्र की गतिविधियों में सुधार से ग्रामीण मांग में सुधार देखा जा रहा है और गैर-खाद्य कर्ज में विस्तार से भी गतिविधियों में तेजी जारी है।उन्होंने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा सामान्य से अधिक दक्षिण-पश्चिम मानसून के पूर्वानुमान से खरीफ उत्पादन को बढ़ावा मिलने और जलाशयों का स्तर बढ़ने की उम्मीद है।
आरबीआई ने क्यों नहीं की रेपो रेट में कटौती
चुनाव नतीजों के बाद पहली मौद्रिक नीति पेश में आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कटौती नहीं करने की वजह महंगाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति की चिंताओं के कारण आरबीआई ने नीतिगत दर पर यथास्थिति बनाए रखी है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में पांच प्रतिशत रहने (आंकड़ा इस महीने के दूसरे सप्ताह जारी होगी) का अनुमान है। इसके पहले अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति 4.83 प्रतिशत रही थी। इसके अलावा खाद्य महंगाई दर आरबीआई की परेशानी बढ़ा रही है। आरबीआई के लिए 4 फीसदी महंगाई दर सामान्य स्थिति होती है।
मौद्रिक नीति की मुख्य बातें
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को घोषित द्विमासिक मौद्रिक नीति की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
*प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) 6.5 प्रतिशत पर बरकरार।
*रेपो दर में पिछली बार फरवरी 2023 में बढ़ोतरी की गई थी।
*मुद्रास्फीति को कम करने के लिए उदार मौद्रिक नीति रुख को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
*वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान सात प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत किया गया।
*वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5 प्रतिशत पर बरकरार।
*खाद्य मुद्रास्फीति अब भी चिंता का विषय।
*वित्त वर्ष 2024-25 के लिए चालू खाते का घाटा यानी कैड टिकाऊ स्तर के भीतर रहने की उम्मीद।
*31 मई, 2024 तक विदेशी मुद्रा भंडार 651.5 अरब अमेरिकी डॉलर के नए उच्चस्तर पर पहुंचा।
*थोक जमा सीमा दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये की गई।
*विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत निर्यात और आयात नियमों को तर्कसंगत बनाया जाएगा।
*आरबीआई भुगतान धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने को डिजिटल भुगतान ‘इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म’ स्थापित करेगा।
*फास्टैग, एनसीएमसी और यूपीआई-लाइट वॉलेट को ई-मैंडेट के तहत लाने का प्रस्ताव।
अब कब मिलेगा सस्ते कर्ज का तोहफाएसबीआई के रिसर्च पेपर के अनुसार, केंद्रीय बैंक को उदार रुख को वापस लेने के अपने निर्णय पर बरकरार रहना चाहिए। ‘एमपीसी बैठक की प्रस्तावना’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में उम्मीद जतायी गई कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में रेपो दर में कटौती करेगा और ‘यह कटौती कम रहने की संभावना है। ’इसमें यह भी कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में पांच प्रतिशत के करीब रहने की उम्मीद है और उसके बाद जुलाई में घटकर तीन प्रतिशत रह जाएगी।
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