अब FD से पैसा निकालना होगा आसान, कर्ज वसूली के लिए एजेंट की नहीं चलेगी मनमानी

RBI Circular On Bank FD : अब बैंकों को एक करोड़ रुपये तक की सभी FD पर समय-पूर्व निकासी की सुविधा देनी होगी। इस समय यह सीमा 15 लाख रुपये तक है। आरबीआई के ये निर्देश सभी वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों पर तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।

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आईबीआई के नए निर्देश

RBI Circular On Bank FD And Recovery Agent:अब एक करोड़ रुपये तक की एफडी को समय से पहले निकालना आसान होगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस संबंध में एफडी लिमिट को रिवाइज कर दिया है। उसके अनुसार अब बैंकों को एक करोड़ रुपये तक की सभी FD पर समय-पूर्व निकासी की सुविधा देनी होगी। इस समय यह सीमा 15 लाख रुपये तक है।रिजर्व बैंक ने एक सर्कुलर में कहा है गैर-निकासी योग्य एफडी के लिए न्यूनतम राशि 15 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये की जा सकती है।इसका मतलब है कि जमाकर्ता को एक करोड़ रुपये और उससे कम राशि वाली एफडी पर समय से पहले निकासी की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा आरबीआई ने रिकवरी एजेंट पर लगाम कसने के लिए भी कई अहम बदलाव करने के निर्देश दिए हैं।

निकासी रोकने के लिए मिलेगा ज्यादा ब्याज !

आरबीआई ने बैंकों को मौजूदा मानकों के अनुरूप एफडी की अवधि और साइज के अलावा समय-पूर्व निकासी का विकल्प नहीं होने के आधार पर अलग-अलग ब्याज दरों की पेशकश करने का विकल्प भी दिया है। आरबीआई के ये निर्देश सभी वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों पर तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।आरबीआई ने एक अन्य सर्कुलर में कहा है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के लिए 'थोक जमा' सीमा को मौजूदा 15 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये और उससे अधिक कर दिया गया है।

100 रुपये डेली का मुआवजा

इसके साथ ही आरबीआई ने कहा है कि क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को ग्राहकों की क्रेडिट जानकारी में सुधार करने में हुई देरी के लिए प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देना होगा। नई व्यवस्था लागू करने के लिए क्रेडिट संस्थानों (सीआई) और क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को छह महीने का वक्त दिया गया है।

एजेंट हर वक्त नहीं कर सकेंगे परेशान

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बकाया कर्ज की वसूली के लिए मानकों को सख्त करने को कहा है । इसके तहत वित्तीय संस्थान और उनके वसूली एजेंट कर्जदारों को सुबह आठ बजे से पहले और शाम सात बजे के बाद फोन नहीं कर सकते हैं।आरबीआई के 'जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता पर मसौदा निर्देश' में कहा गया है कि बैंकों और एनबीएफसी जैसी विनियमित संस्थाओं (आरई) को मुख्य प्रबंधन कार्यों को आउटसोर्स नहीं करना चाहिए। इन कार्यों में नीति निर्माण और केवाईसी मानदंडों के अनुपालन का निर्धारण और ऋणों की मंजूरी भी शामिल हैं।मसौदे के मुताबिक, बैंकों एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को प्रत्यक्ष बिक्री एजेंटों (डीएसए), प्रत्यक्ष विपणन एजेंटों (डीएमए) और वसूली एजेंटों के लिए आचार संहिता बनानी चाहिए।
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