RBI 90 Years: AI और ब्लॉकचेन बैकिंग सेक्टर के लिए नई चुनौती,आरबीआई के 90 साल पर बोले मोदी

RBI 90 Years: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बैंकिंग उद्योग को यह सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़ने की जरूरत है ताकि वह देश के भविष्य की वृद्धि के लिए जरूरी परियोजनाओं की कर्ज जरूरतों को पूरा कर सके।

RBI 90 years

आरबीआई के 90 साल

RBI 90 Years:प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि वित्तीय उद्योग में उभरते बदलावों के साथ ‘नये बैंक ढांचे’ के अध्ययन की जरूरत है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 90वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि बदलते दौर में ‘फाइनेंसिंग,ऑपरेशन और कारोबारी मॉडल’ के नये तरीकों की आवश्यकता हो सकती है।प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंकिंग उद्योग को यह सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़ने की जरूरत है ताकि वह देश के भविष्य की वृद्धि के लिए जरूरी परियोजनाओं की कर्ज जरूरतों को पूरा कर सके। इस मौके पर 90 रुपये का सिक्का भी जारी किया गया।

AI और ब्लॉक चेन नई चुनौती

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही उद्योग के सामने एआई और ब्लॉकचेन सहित कुछ चुनौतियां भी हैं। ये डिजिटल बैंकिंग और फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) जैसे इन्नोवेशन पर बढ़ती निर्भरता के बीच बैंक, साइबर सुरक्षा की तस्वीर बदल रही हैं। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ऐसी स्थिति में, हमें देश के बैंकिंग क्षेत्र और इसकी संरचना में आवश्यक बदलाव के बारे में सोचने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की वृद्धि संभावनाओं और क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक को कर्ज जरूरतों का आकलन करना चाहिए।

बैंकिंग सिस्टम अब मजबूत

मोदी ने कहा कि मैं जब 2014 में रिजर्व बैंक के 'अस्सी-वें' वर्ष के कार्यक्रम में आया था, तब हालात एकदम अलग थे। भारत का पूरा बैंकिंग सेक्टर समस्याओं और चुनौतियों से जूझ रहा था। एनपीए को लेकर भारत के बैंकिंग सिस्टम की स्थिरता और उसके भविष्य को लेकर हर कोई आशंका से भरा हुआ था और आज भारत के बैंकिंग सिस्टम को दुनिया में एक मजबूत और टिकाऊ प्रणाली माना जा रहा है। जो बैंकिंग सिस्टम कभी डूबने की कगार पर था, वो बैंकिंग सिस्टम अब प्रॉफिट में आ गया है और क्रेडिट में रिकॉर्ड वृद्धि दिखा रहा है।

10 साल बाद कैसा होगा आरबीआई

इस मौके पर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दांस ने कहा कि हम ‘आरबीआई एट 100’ की ओर बढ़ रहे हैं, रिजर्व बैंक एक स्थिर तथा मजबूत वित्तीय प्रणाली पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो हमारे देश की आर्थिक प्रगति के लिए आधार के तौर पर काम करेगी। दास ने कहा कि रिजर्व बैंक लगातार उभरते रुझानों का मूल्यांकन कर रहा है और बदलते समय के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए आवश्यक नीतिगत उपाय कर रहा है। संरचनात्मक सुधारों के बारे में उन्होंने कहा कि दिवाला व दिवालियापन संहिता के अधिनियमन और हाल के वर्षों में मुद्रास्फीति लक्ष्य को अपनाने से बैंकिंग प्रणाली में चुनौतियों से निपटने तथा मूल्य स्थिरता को अधिक प्रभावी ढंग से बनाए रखने में मदद मिली है।

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