RBI Cuts CRR: क्या होता है CRR, RBI ने घटाया 50 बेसिस पॉइंट्स, आम लोगों पर क्या पड़ेगा असर, जानिए सबकुछ
RBI Cuts CRR: CRR ग्राहकों की कुल जमाराशि में से वो तय न्यूनतम राशि है जिसे कमर्शियल बैंक को नकद या RBI के पास जमा के रूप में रखने की आवश्यकता होती है। CRR रेट केंद्रीय बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार तय होती है।
RBI ने घटाया CRR
- RBI ने घटाया CRR
- 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती
- 4.5 फीसदी से रह गया 4 फीसदी
RBI Cuts CRR: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने शुक्रवार को रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने के अलावा कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 50 आधार अंकों (0.50 फीसदी) की कटौती की। इसके साथ ही सीआरआर अब 4.5 फीसदी घटाकर 4 फीसदी कर दिया गया है। बता दें कि इससे सीआरआर अप्रैल 2022 में पॉलिसी टाइट करने के साइकिल की शुरुआत से पहले के लेवल पर वापस आ गया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि सभी बैंकों के सीआरआर को 25 आधार अंकों की दो बराबर किस्तों में 50 आधार तक घटाया जाएगा। इससे सीआरआर एनडीटीएल (Net Demand & Time Liabilities) के 4% पर आ जाएगा। क्या है इसका मतलब और क्या पड़ेगा इसका आम लोगों पर असर जानिए।
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क्या होता है CRR
CRR ग्राहकों की कुल जमाराशि में से वो तय न्यूनतम राशि है जिसे कमर्शियल बैंक को नकद या RBI के पास जमा के रूप में रखने की आवश्यकता होती है। CRR रेट केंद्रीय बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार तय होती है।
यह पर्याप्त लिक्विडिटी सुनिश्चित करने और ब्याज दरों को स्थिर रखने की केंद्रीय बैंक की रणनीति का हिस्सा होता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बैंकों के पास ग्राहकों की पैसा निकालने की मांगों को पूरा करने के लिए पर्याप्त राशि हो और लिक्विडिटी मैनेजमेंट प्रभावी ढंग से हो सके।
आम ग्राहकों/लोगों पर असर
देखा जाए तो CRR का ग्राहकों/लोगों पर सीधा असर नहीं पड़ता। क्योंकि इसे बनाए रखना बैंकों की जिम्मेदारी होती है। मगर ये ग्राहकों के डिपॉजिट से संबंधित है। सीआरआर अर्थव्यवस्था की मनी सप्लाई को कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाता है और आरबीआई की मौद्रिक नीति में एक महत्वपूर्ण टूल है।
RBI कैसे करता है CRR का इस्तेमाल
मुद्रास्फीति के बढ़ने पर RBI उधार देने के लिए उपलब्ध फंड (बैंकों के पास) को सीमित करने के लिए CRR को बढ़ाता है, जिससे अतिरिक्त लिक्विडिटी को कम करने और कीमतों को कम करने में मदद मिलती है।
इसके उलट धीमी आर्थिक ग्रोथ के दौरान, RBI CRR को कम करता है, जिससे बैंकों को अधिक स्वतंत्र रूप से उधार देने की अनुमति मिलती है, जिससे निवेश को बढ़ावा मिलता है और आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलता है।
अब जब RBI ने CRR को कम किया है तो बैंक अधिक उधार दे पाएं, जिससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी, क्योंकि बैंकों को कम रिजर्व रखना होगा।
क्या है एक्सपर्ट का नजरिया
बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी ने कहा है कि अप्रैल 2020 के बाद पहली बार RBI द्वारा CRR में 50 आधार अंकों की कटौती करना मौद्रिक नीति की नई दिशा का संकेत है। लगातार 11वीं बार रेपो रेट में बदलाव न होने से फरवरी में कटौती की उम्मीद बन रही है।
शेट्टी के अनुसार हमें अभी भी वैश्विक रुझानों को देखने की जरूरत है क्योंकि मुद्रास्फीति अस्थिर बनी हुई है। RBI ने आर्थिक विकास के साथ मुद्रास्फीति कंट्रोल को बैलेंस करने का अच्छा काम किया है।
होम लोन पर असर
शेट्टी ने कहा कि भारत में ज्यादातर होम लोन की ब्याज दरें फ्लोटिंग होती हैं। रेपो रेट में कोई बदलाव न होने की वजह से, आपकी EMI में अभी बढ़ोतरी होने की संभावना नहीं है। यह उन उधारकर्ताओं के लिए अच्छी खबर है जो टाइट बजट वाले हैं।
बैंक उधार दरों को स्थिर रखने की संभावना रखते हैं। अगर आप घर खरीदने या अपने लोन को रिफाइनेंस करने की योजना बना रहे हैं, तो बेहतर दर पर बातचीत करने का यह अच्छा समय हो सकता है।
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