भारत का बैंकिंग सिस्टम मजबूत,ग्लोबल फैक्टर का निगेटिव असर कम,लेकिन चौंकने के लिए रहें तैयार-RBI गवर्नर

RBI Governer on Indian Banking System:आरबीआई गवर्नर ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय फाइनेंशियल सिस्टम मजबूत बना हुआ है। और कुछ आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय अस्थिरता का इस पर निगेटिव असर नहीं पड़ा है।

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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास

RBI Governer on Indian Banking System:देश का बैंकिंग सिस्टम मजबूत है और उस पर ग्लोबल फैक्टर का खास असर नहीं हुआ हैं। हालांकि दुनिया भर में जिस तरह से लीक से हटकर नीतियां बनाई जा रही है, उसे देखते हुए फाइनेंशियल सेक्टर में कोई चौंकाने वाली घटनाएं भी हो सकती हैं। और इसके लिए हमें तैयार रहना होगा। यह बातें भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास ने आज एक कार्यक्रम में कही है। दास ने यह भी कहा है कि रिजर्व बैंक भारतीय वित्तीय प्रणाली को मजबूत बनाने और उससे लगातार सुधार के लिए सभी जरूरी सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।
पूंजी की बनी रहेगी उपलब्धता
‘कॉलेज ऑफ सुपरवाइजर्स’द्वारा फाइनेंशियल सेक्टर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय फाइनेंशियल सिस्टम मजबूत बना हुआ है। और कुछ आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय अस्थिरता का इस पर निगेटिव असर नहीं पड़ा है। दास का यह बयान सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने के कुछ सप्ताह बाद आया है। इस घटनाक्रम से अमेरिका और यूरोप के वित्तीय क्षेत्र में संकट की स्थिति पैदा हो गई है। दास ने कहा कि रिजर्व बैंक के दबाव परीक्षणों से पता चलता है कि अत्यंत संकट वाली स्थिति में भी भारतीय बैंक पूंजी पर्याप्तता अनुपात को न्यूनतम जरूरत से ऊपर रखने में सफल रहेंगे।
चौंकाने वाली घटना के लिए रहे तैयार
आरबीआई गवर्नर के बयान से साफ है कि जिस तरह अमेरिका और यूरोप के कई बैंक नकदी का संकट झेल रहे हैं। वैसी स्थिति भारत में नहीं आने वाली है। बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी है। हालांकि उन्होंने फाइनेंशियल सेक्टर से जुड़े हुए लोगों को सतर्क करते हुए कहा कि दुनियाभर में लीक से हटकर नीतियां अपनाई जा रही हैं। ऐसे में वित्तीय क्षेत्र में किसी तरह की चौंकाने वाले घटनाक्रम हो सकते हैं। और उसके लिए हमें तैयार रहना चाहिए।
कर्ज महंगा कर रहे हैं सेंट्रल बैंक
आरबीआई गवर्नर जिस लीक से हटकर लिए जाने वाले फैसले की बात कर रहे हैं। उनका इशारा शायद फेड रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के जरुरत से ज्यादा कर्ज महंगा करने की नीति की ओर है। चाहे फेड रिजर्व हो या फिर यूरोपीय सेंट्रल बैंक महंगाई को नियंत्रण में करने के लिए वह लगातार कर्ज महंगा कर रहे हैं। जिसका असर ग्रोथ पर पड़ रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल में जारी मौद्रिक नीति में लगातार बढ़ रही नीतिगत दरों पर ब्रेक लगा दिया है। और उसने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था।
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