महंगाई को चार फीसदी पर लाने की कोशिश जारी, मुद्रास्फीति को लेकर RBI गर्वनर ने कही ये बात

RBI Governor Shaktikanta Das: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा है कि नीतिगत दर में सोच-समझ कर की गयी वृद्धि और सरकार के स्तर पर आपूर्ति व्यवस्था बेहतर बनाने के उपायों से खुदरा महंगाई घटी है तथा इसे और कम कर चार प्रतिशत पर लाने के लिये कोशिश जारी है।

RBI governor on inflation

भारतीय रिजर्व बैंक

RBI Governor Shaktikanta Das: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा है कि नीतिगत दर में सोच-समझ कर की गयी वृद्धि और सरकार के स्तर पर आपूर्ति व्यवस्था बेहतर बनाने के उपायों से खुदरा महंगाई घटी है तथा इसे और कम कर चार प्रतिशत पर लाने के लिये कोशिश जारी है।
दास ने साथ ही जोड़ा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनिश्चितताएं और अल नीनो की आशंका के साथ चुनौतियां भी बनी हुई हैं।

यूक्रेन युद्ध से पिछले साल के बाद महंगाई बढ़ी

उन्होंने कहा कि ब्याज दर और महंगाई साथ-साथ चलते हैं। इसीलिए अगर महंगाई टिकाऊ स्तर पर काबू में आती है, तो ब्याज दर भी कम हो सकती है। दास ने यहां आरबीआई मुख्यालय में पीटीआई-भाषा से विशेष बातचीत में कहा, ‘‘यूक्रेन युद्ध के कारण पिछले साल फरवरी-मार्च के बाद महंगाई काफी बढ़ गयी थी। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिंसों के दाम में तेजी आई। गेहूं और खाद्य तेल जैसे कई खाद्य पदार्थ यूक्रेन और मध्य एशिया क्षेत्र से आते हैं। उस क्षेत्र से आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने से कीमतें काफी बढ़ गयी। लेकिन उसके तुरंत बाद हमने कई कदम उठाये। हमने पिछले साल मई से ब्याज दर बढ़ाना शुरू किया। सरकार के स्तर पर भी आपूर्ति व्यवस्था बेहतर बनाने के लिये कई कदम उठाये गये। इन उपायों से महंगाई में कमी आई है और अभी यह पांच प्रतिशत से नीचे है।’’

महंगाई दर मई महीने में 25 महीने के निचले स्तर पर

उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर मई महीने में 25 महीने के निचले स्तर पर 4.25 प्रतिशत पर रही। बीते वर्ष अप्रैल में यह 7.8 प्रतिशत तक चली गयी थी। महंगाई को काबू में लाने के लिये रिजर्व बैंक पिछले साल मई से इस साल फरवरी तक रेपो दर में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।
यह पूछे जाने पर कि लोगों को महंगाई से कब तक राहत मिलेगी, दास ने कहा, ‘‘महंगाई तो कम हुई है। पिछले साल अप्रैल में 7.8 प्रतिशत थी और यह अब 4.25 प्रतिशत पर आ गयी है। हम इस पर मुस्तैदी से नजर रखे हुए हैं। जो भी कदम जरूरी होगा, हम उठाएंगे। इस वित्त वर्ष में हमारा अनुमान है कि यह औसतन 5.1 प्रतिशत रहेगी और अगले साल (2024-25) इसे चार प्रतिशत के स्तर पर लाने के लिये हमारी कोशिश जारी रहेगी।’’

सीमा शुल्क के स्तर को समायोजित किया गया

आरबीआई को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ खुदरा महंगाई दर चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। केंद्रीय बैंक नीतिगत दर-रेपो पर निर्णय करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई पर गौर करता है। खाद्य वस्तुओं के स्तर पर महंगाई के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ खाद्य पदार्थों के दाम भी कम हुए हैं। एफसीआई खुले बाजार में गेहूं और चावल को जारी करता रहा है। कई मामलों में सीमा शुल्क के स्तर को समायोजित किया गया है। हमने मौद्रिक नीति के स्तर पर नीतिगत दर के मामले में सोच-विचार कर कदम उठाया है। पिछला जो आंकड़ा आया, उसमें खाद्य महंगाई में बहुत सुधार आया है।’’

महंगाई के स्तर पर कच्चा तेल कोई समस्या नहीं

मई में खाद्य महंगाई 2.91 प्रतिशत रही जबकि अप्रैल में यह 3.84 प्रतिशत थी। हालांकि, अनाज और दालों की महंगाई बढ़कर क्रमश: 12.65 प्रतिशत और 6.56 प्रतिशत पहुंच गयी। हाल में गवर्नर ऑफ द ईयर पुरस्कार से सम्मानित दास ने यह भी कहा कि महंगाई के स्तर पर कच्चा तेल कोई समस्या नहीं है। फिलहाल कच्चे तेल के दाम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नरमी आई है और यह अभी 75-76 के डॉलर के आसपास है।
महंगाई को काबू में लाने के रास्ते में चुनौतियों के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘दो-तीन चुनौतियां हैं। सबसे पहली चुनौती अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनिश्चितता की है। युद्ध (रूस-यूक्रेन) के कारण जो अनिश्चितताएं पैदा हुई हैं, वह अभी बनी हुई है, उसका क्या असर होगा, वह तो आने वाले समय पर ही पता चलेगा। दूसरा, वैसे तो सामान्य मानसून का अनुमान है लेकिन अल नीनो को लेकर आशंका है। यह देखना होगा कि अल नीनो कितना गंभीर होता है। अन्य चुनौतियां मुख्य रूप से मौसम संबंधित हैं, जिसका असर सब्जियों के दाम पर पड़ता है। ये सब अनिश्चितताएं हैं, जिनसे हमें निपटना होगा।’’
ऊंची ब्याज दर से कर्ज लेने वालों को राहत के बारे में पूछे जाने पर आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘ ....ब्याज दर और महंगाई साथ-साथ चलते हैं। इसीलिए अगर महंगाई टिकाऊ स्तर पर काबू में आ जाएगी और यह चार प्रतिशत के आसपास आती है तो ब्याज दर भी कम हो सकती है। इसीलिए हमें दोनों का एक साथ विश्लेषण करना चाहिए।’’यह पूछे जाने पर कि क्या महंगाई नीचे आने पर ब्याज दर में कमी आएगी, दास ने कहा, ‘‘उसके बारे में मैं अभी कुछ नहीं कहूंगा। जब महंगाई कम होगी, फिर उसके बारे में सोचेंगे।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | बिजनेस (business News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

लेटेस्ट न्यूज

आशीष कुशवाहा author

आशीष कुमार कुशवाहा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। वह मई 2023 से Timesnowhindi.com के साथ जुड़े हैं। वह यहां शेयर बाजा...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited