RBI On Wilful Defaulter: 25 लाख से ज्यादा लिया लोन और नहीं चुकाया, तो हो जाएंगे विलफुल डिफॉल्टर

RBI On Wilful Defaulter: आरबीआई के अनुसार बैंक एक विशेष प्रक्रिया का पालन करके किसी व्यक्ति की पहचान करेंगे और उसे ‘इरादतन चूककर्ता’ की कैटेगरी में शामिल करेंगे। निर्देश के अनुसार, इरादतन चूक के सबूतों की जांच एक पहचान समिति करेगी।

आरबीआई का डिफॉल्टर पर नया फरमान

RBI On Wilful Defaulter:भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वाले से सख्ती से निपटने के निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत अब 25 लाख और उससे अधिक की बकाया राशि वाले खातों की जांच होगी। आरबीआई ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को 25 लाख रुपये और उससे अधिक की बकाया राशि वाले सभी गैर-निष्पादित आस्तियां (NPA) खातों में ‘इरादतन चूक’ की जांच करने के निर्देश दिए हैं। आरबीआई का यह निर्देश अब उन छोटे कर्जदाताओं को शिकंजे में लेगा, जो जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाते हैं।

ऐसे होगी पहचान

आरबीआई के अनुसार बैंक एक विशेष प्रक्रिया का पालन करके किसी व्यक्ति की पहचान करेंगे और उसे ‘इरादतन चूककर्ता’ की कैटेगरी में शामिल करेंगे। निर्देश के अनुसार, इरादतन चूक के सबूतों की जांच एक पहचान समिति करेगी। ‘इरादतन चूककर्ता’ का अर्थ है एक ऐसा कर्जदार या गारंटर जिसने जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाया है और उसकी बकाया राशि 25 लाख रुपये से अधिक है। आरबीआई ने कहा, है कि बैंक 25 लाख रुपये और उससे अधिक की बकाया राशि वाले सभी एनपीए खातों में ‘इरादतन चूक’ की समय-समय पर जांच करेंगे।

छह महीने में होगा एक्शन

आरबीआई के अनुसार यदि आंतरिक शुरुआती जांच में कोई जानबूझकर चूक की बात सामने आती है, तो ऋणदाता खाते को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किए जाने के छह महीने के भीतर कर्जदार को इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत करने की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे। आरबीआई के निर्देश में आगे कहा गया है कि ऋणदाताओं को इस संबंध में एक गैर-भेदभावपूर्ण बोर्ड से मंजूरी प्राप्त नीति तैयार करनी चाहिए।

End Of Feed