Repo Rate: RBI ने 2024 में रेपो रेट में नहीं किया बदलाव, 2025 में नए मुखिया पर हर किसी की निगाहें
Repo Rate: नए गवर्नर के कार्यभार संभालने तथा ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में ब्याज दर निर्धारण समिति (एमपीसी) में बढ़ती असहमति के कारण अब सभी की निगाहें फरवरी में आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा बैठक पर है। सभी इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि फरवरी की बैठक में एमपीसी का क्या रुख रहता है।
RBI
Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पूर्व गवर्नर शक्तिकान्त दास के नेतृत्व में 2024 में ब्याज दरों में कटौती के दबाव को नजरअंदाज किया और अपना मुख्य ध्यान महंगाई पर केंद्रित रखा। हालांकि, अब नए मुखिया की अगुवाई में केंद्रीय बैंक को जल्द यह फैसला लेना होगा कि क्या वह आर्थिक वृद्धि की कीमत पर मुद्रास्फीति को तरजीह देना जारी रख सकता है। नौकरशाह दास ने 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नोटबंदी के फैसले के बाद पूरे मामले की देखरेख की थी। उन्होंने एक स्थायी विरासत छोड़ी है। उन्होंने छह साल तक मौद्रिक नीति को कुशलतापूर्वक संचालित किया। 2024 के अंत में दास का दूसरा कार्यकाल पूरा होने के बाद सरकार ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को नया गवर्नर नियुक्त किया है। दास को कोविड-19 महामारी के समय से भारत के पुनरुद्धार को आगे बढ़ाने का श्रेय जाता है।
इस साल के अंत में एक अन्य नौकरशाह संजय मल्होत्रा को दास का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। मल्होत्रा को दास का दूसरा तीन वर्षीय कार्यकाल समाप्त होने से मात्र 24 घंटे पहले ही नियुक्त किया गया। दास के नेतृत्व में आरबीआई ने लगभग दो साल तक प्रमुख नीतिगत दर रेपो को यथावत रखा। हालांकि, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर पर आ गई है।
नए गवर्नर के कार्यभार संभालने तथा ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में ब्याज दर निर्धारण समिति (एमपीसी) में बढ़ती असहमति के कारण अब सभी की निगाहें फरवरी में आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा बैठक पर है। सभी इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि फरवरी की बैठक में एमपीसी का क्या रुख रहता है। इसी महीने उनकी नियुक्ति के बाद कुछ विश्लेषकों का मानना था कि मल्होत्रा के आने से फरवरी में ब्याज दरों में कटौती की संभावना मजबूत हुई है, लेकिन कुछ घटनाएं, विशेषकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 में ब्याज दर में कम कटौती का संकेत दिए जाने, रुपये पर इसके असर के बाद कुछ लोगों ने यह सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि क्या यह ब्याज दर में कटौती के लिए उपयुक्त समय है।
कुछ पर्यवेक्षक यह भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या 0.50 प्रतिशत की हल्की ब्याज दर कटौती - जैसा कि मुद्रास्फीति अनुमानों को देखते हुए व्यापक रूप से अपेक्षित है - आर्थिक गतिविधियों के लिए किसी भी तरह से उपयोगी होगी। एक नौकरशाह के रूप में लंबे करियर के बाद केंद्रीय बैंक में शामिल हुए दास ने कहा था कि उन्होंने उन प्रावधानों के अनुसार काम किया, जो वृद्धि के प्रति सजग रहते हुए मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने अक्टूबर, 2024 में सर्वसम्मति से नीतिगत रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ करने का फैसला किया था। अपनी आखिरी नीति घोषणा में दास ने जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.4 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर और अक्टूबर में मुद्रास्फीति के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर जाने का हवाला देते हुए कहा था कि वृद्धि-मुद्रास्फीति की गतिशीलता अस्थिर हो गई है। दास ने आधिकारिक जीडीपी वृद्धि आंकड़ों के प्रकाशन के बाद अपने अंतिम संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्रीय बैंकिंग में ‘आकस्मिक’ प्रतिक्रिया की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे की ‘विश्वसनीयता’ को आगे भी संरक्षित करना होगा। आरबीआई ने लगातार 11 बार द्विमासिक नीतिगत समीक्षा के लिए प्रमुख दरों को अपरिवर्तित रखा है।
(इनपुट-भाषा)
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। बिजनेस (Business News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
मैं अंकिता पान्डे Timesnowhindi.com जुड़ी हूं । मैं उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर प्रतापगढ़ में पली...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited