RBI Policy: सस्ते कर्ज का नहीं मिला तोहफा,अब FD से लेकर घर में निवेश कर उठाएं फायदा
RBI MPC: आरबीआई के फैसले के बाद जहां एफडी और आरडी पर ज्यादा ब्याज हासिल किया जा सकता है। इसी तरह घर खरीदारों के लिए भी अच्छा मौका है। क्योंकि अब आगे की प्रोजेक्शन को देख कर उम्मीद बढ़ गई है कि आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करेगा।
आरबीआई ने कर्ज नहीं किया सस्ता
FD कर उठाएं फायदा
बैंक बजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी के अनुसार पिछले 20 महीने में रेपो दर 4% से 6.5% तक बढ़ाई गई है, होम लोन लेने वालों के कर्ज का बोझ बढ़ गया एस्पिरेशन इंडेक्स, के अनुसार अधिकांश रेस्पोंडेंट्स की ब्याज दरें 1-3% तक बढ़ गई हैं। और उनकी ईएमआई लगभग 2000 से 10,000 तक बढ़ गई हैं। इसे बढ़ोतरी के वजह से बैंकों और फाइनेंस कंपनियों ने ब्याज दर 9.5% तक बढ़ाई। ब्याज दरों में वृद्धि के बाद, फिक्स्ड डिपॉजिट्स में भी अधिक रूचि देखी गई है। आप अपने पैसे को हाई रिटर्न देनी वाली छोटी अवधियों के एफडी में लॉक कर सकते हैं।
वहीं एयू स्माल फाईनेंस बैंक के एमडी और सीईओ संजय अग्रवाल के अनुसार एमपीसी का ध्यान निश्चित ही लंबी अवधि में 4% की मुद्रास्फीति लक्ष्य पर केंद्रित है वैश्विक अस्थिरताओं के बावजूद, आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 24 के लिए जीडीपी का अनुमान 6.5% से 7% बढ़ाया है, जोकि घरेलू विकास के प्रति विश्वास को दर्शाता है।
घर लेने का सही समय
क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष और गौड़ ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़ के अनुसार बीते दो साल से रेजीडेंशियल रियल एस्टेट बेहद सकारात्मक रहा है। बीते कुछ समय में प्रमुख डेवलपर्स द्वारा किए गए नए लॉन्च को अच्छा रिस्पॉस मिला है। इन्वेंट्री अब तक के सबसे निचले स्तर पर है, और प्रीमियम और लग्जरी प्रोजेक्ट की मांग में रिकॉर्ड तेजी है। त्रेहान ग्रुप के प्रबंध निदेशक सारांश त्रेहन ने कहा कि हमें यह अंदाजा था कि आरबीआई वर्तमान रेपो दर को बरकरार रखेगा। आरबीआई ने कुछ क्षेत्रों में बाजार की सुस्ती को रिवाइव करने के लिए रेपो दरों को कम करने पर विचार किया होता तो और बेहतर होता। लेकिन प्रॉपर्टी में लगातार रिवाइवल हुआ है, इसलिए जो गिरावट हुई है उसे सुचारू रुप से संचालन की स्थिति बनाने में भी मदद मिलेगी।
वहीं गंगा रियल्टी के संयुक्त प्रबंध निदेशक विकास गर्ग उद्योग के दिग्गजों को इस फैसले की काफी उम्मीद थी, क्योंकि मुद्रास्फीति लंबे समय से चली आ रही परेशानी बनी हुई है, जिसे ठोस नीति-निर्माण निर्णयों द्वारा कम करने की आवश्यकता है। हालांकि रियल एस्टेट क्षेत्र को रेपो दरों में मामूली कटौती से लाभ हो सकता था, लेकिन वर्तमान रेपो दर को बनाए रखने से भी कोई नुकसान नहीं होता है क्योंकि बाजार की भावनाएं अत्यधिक सकारात्मक हैं, जिससे रेपो दर अपरिवर्तित रहने के कारण मार्केट पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
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