RBI Repo Rate: नहीं मिलेगी लोन दरों पर राहत ! 6.5% पर बरकरार रहेगी रेपो रेट, RBI की मौद्रिक नीति समिति ने 11वीं बार नहीं किया बदलाव
RBI Monetary Policy Repo Rate: RBI की मौद्रिक नीति समिति ने 11वीं बार रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है। इसके साथ ही एक बार फिर से रेपो रेट 6.5% पर बरकरार रहेगी। इसका मतलब है कि लोन लेने वालों को लोन दरों में राहत मिलने की संभावना नहीं है।
रेपो रेट में नहीं हुआ बदलाव
- रेपो रेट में नहीं हुआ बदलाव
- 6.5 फीसदी पर रहेगी बरकरार
- 11वीं बार नहीं हुआ बदलाव
RBI Monetary Policy Repo Rate: RBI की मौद्रिक नीति समिति ने 11वीं बार रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है। इसके साथ ही एक बार फिर से रेपो रेट 6.5% पर बरकरार रहेगी। इसका मतलब है कि लोन लेने वालों को लोन दरों में राहत मिलने की संभावना नहीं है। हालांकि आम तौर पर रेपो रेट में बढ़ोतरी न होने पर बैंक ब्याज दरें भी नहीं बढ़ाते हैं। यानी रेपो रेट न बढ़ने पर लोन महंगा नहीं होता।
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SDF रेट और MSF रेट में भी बदलाव
MPC ने एसडीएफ रेट (वह दर है जिस पर RBI बैंकों से ओवरनाइट बिना किसी कोलेट्रोल के डिपॉजिट स्वीकार करता है) को 6.25% और एमएसएफ रेट (वे दर जिस पर कमर्शियल बैंक, सरकारी सिक्योरिटीज को गिरवी रखकर RBI से ब्याज पर पैसे उधार ले सकते हैं) को 6.75% पर बरकरार रखने का फैसला किया है।
"Neutral" रहेगा केंद्रीय बैंक का रुख
MPC की बैठक के बाद आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्रीय बैंक का रुख "Neutral" बना हुआ है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से इस "Neutral" रुख को बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की, जो मौजूदा आर्थिक हालाकों के मद्देनजर सतर्क नजरिये का संकेत है।
GDP के लिए क्या हैं अनुमान
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रियल जीडीपी ग्रोथ अब 6.6% अनुमानित है। तीसरी तिमाही के लिए, ग्रोथ रेट 6.8% रहने की उम्मीद है, जबकि चौथी तिमाही में 7.2% तक बढ़ने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही को देखते हुए, रियल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.9% है, जो वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में 7.3% तक बढ़ सकती है।
महंगाई पर क्या है अनुमान
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मुद्रास्फीति 4.8% रहने का अनुमान है। तीसरी तिमाही में इसके 5.7% तक बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन चौथी तिमाही में इसके 4.5% तक गिरने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए मुद्रास्फीति 4.6% रहने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में इसमें और गिरावट होकर 4% रहने का अनुमान है।
CRR में कटौती
आरबीआई ने नकदी संकट को दूर करने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio) या CRR को घटाकर 4% कर दिया, जो अभी 4.5 फीसदी था। वहीं आरबीआई ने सिस्टम में कैश मैनेजमेंट के लिए वीआरआरआर (Variable Rate Reverse Repo) संचालित किया।
वीआरआरआर बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी को मैनेज करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक मॉनेटरी टूल है।
विदेशी निवेशकों का क्या है रुख
उभरते बाजार अर्थव्यवस्थाओं (Emerging Market Economies) या ईएमई में एफपीआई (Foreign Portfolio Investors) फ्लो में अक्टूबर में सामान्य गिरावट देखी गई। वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक भारत में 9.3 अरब डॉलर का शुद्ध निवेश एफपीआई की तरफ से आया है।
अधिक निवेश को आकर्षित करने के लिए, आरबीआई ने एफसीएनआर-बी (Foreign Currency Non-Resident B) डिपॉजिट्स पर ब्याज दर की सीमा बढ़ाने का फैसला किया है, जो तुरंत प्रभावी होंगी। साथ ही एफसीएनआर जमा दरों में वृद्धि भी की है, जिसका मसद भारत को विदेशी निवेश के लिए अधिक आकर्षक जगह बनाना है।
लॉन्च होगा पॉडकास्ट और SORR
RBI कम्युनिकेशन के एक नए माध्यम के रूप में पॉडकास्ट लॉन्च करने के लिए तैयार है, जिसका मकसद एंगेजमेंट और पारदर्शिता को बढ़ाना है। RBI ने एक नया बेंचमार्क, सुरक्षित ओवरनाइट रुपया दर (Secured Overnight Rupee Rate या SORR) शुरू करने का प्रस्ताव दिया है।
जानकारों और इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का क्या है कहना
RBI का संतुलित नजरिया
नाहर ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और महाराष्ट्र के नारेडको की सीनियर वीपी सुश्री मंजू याग्निक ने कहा, "आरबीआई द्वारा लगातार 11वीं बार रेपो दर को 6.5% पर बनाए रखने का निर्णय विकास और मुद्रास्फीति को प्रबंधित करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी 6.5-7% की दर से बढ़ने की उम्मीद है और रियल एस्टेट सेक्टर अर्थव्यवस्था में 7% का योगदान दे रहा है, इसलिए आर्थिक गति बनाए रखने के लिए यह स्थिरता महत्वपूर्ण है। एक स्थिर दर से लगातार पुनर्भुगतान शर्तें सुनिश्चित होती हैं, जिससे घर खरीदने वालों का आत्मविश्वास बढ़ता है और इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलता है। संपत्ति की कीमतों में वृद्धि, स्थिर ऋण देने की स्थिति और एक स्थिर बाजार के साथ रियल एस्टेट आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक बन जाता है, जिससे मांग बढ़ती है और भारत की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है।"
भविष्य की विकास संभावनाओं को लेकर आशावादी
वहीं सुप्रीम यूनिवर्सल के संयुक्त प्रबंध निदेशक, विशाल जुमानी ने कहा कि आरबीआई द्वारा रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का निर्णय रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक बेहतरीन कदम है। नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र का वर्तमान मूल्य $493 बिलियन है और यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 7.3% का योगदान देता है, हम इसके भविष्य की विकास संभावनाओं के बारे में आशावादी हैं। हमारे अनुमानों से संकेत मिलता है कि यह क्षेत्र 2047 तक 5.8 ट्रिलियन रुपये तक बढ़ जाएगा, जो भारत के आर्थिक उत्पादन का 15.5% होगा, जिससे ब्याज दरों में यह स्थिरता एक समयोचित और स्वागत योग्य कदम बन जाती है। ब्याज दरों में यह स्थिरता मुंबई और पुणे जैसे उच्च मूल्य वाले बाजारों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है।
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