आरबीआई मौद्रिक नीति दिसंबर 2023
मुख्य बातें
- आरबीआई की एमपीसी बैठक शुरू
- रेपो रेट में बदलाव की संभावना नहीं
- फिलहाल 6.5 फीसदी है रेपो रेट
RBI Monetary Policy December 2023: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन चलने वाली बैठक बुधवार को शुरू हुई। यह माना जा रहा है कि एमपीसी में इस बार भी नीतिगत दर रेपो रेट (Repo Rate) को मौजूदा 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा जा सकता है। यदि रेपो रेट में कमी नहीं की जाती, तो बैंक भी अपनी लोन ब्याज दरें आम तौर पर नहीं घटाते हैं। इसका प्रमुख कारण चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी (GDP) वृद्धि दर का उम्मीद से अधिक रहना और मुद्रास्फीति में नरमी आना है।
4 बार से नहीं बदली रेपो रेट
आरबीआई ने पिछली चार मौद्रिक नीति समीक्षाओं में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया। आखिरी बार फरवरी में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था। इसके साथ रूस-यूक्रेन युद्ध और उसके कारण ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित होने से महंगाई बढ़ने के कारण मई, 2022 से शुरू हुआ नीतिगत दर में वृद्धि का सिलसिला एक तरह से थम गया।
अब कब होगा रेपो रेट का ऐलान
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास 6 सदस्यीय एमपीसी के निर्णय की घोषणा आठ दिसंबर को करेंगे। एमपीसी से अपेक्षा के बारे में इक्रा (ICRA) की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में जीडीपी डेटा मौद्रिक नीति समिति के पिछले अनुमान से अधिक रहा है। हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति (Food Inflation) से संबद्ध विभिन्न पहलुओं को लेकर चिंता बनी हुई है।
उन्होंने कहा है कि इन सबको देखते हुए हमारा अनुमान है कि एमपीसी दिसंबर, 2023 की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को यथावत या बरकरार रख सकती है। हालांकि, मौद्रिक नीति का रुख आक्रामक हो सकता है।
बढ़ सकता है ग्रोथ रेट के लिए अनुमान
डॉयचे बैंक रिसर्च के अनुसार, आरबीआई 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर सकता है जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 5.4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखे जाने की संभावना है।
इसने कहा है कि आरबीआई रेपो दर और रुख को अपरिवर्तित रखेगा। आरबीआई यह सुनिश्चित करेगा कि अल्पकालिक दर 6.85-6.90 प्रतिशत के आसपास बनी रहे।
मैन्युफैक्चरिंग, खनन और सर्विस सेक्टर का बेहतर प्रदर्शन
मैन्युफैक्चरिंग, खनन और सर्विस सेक्टर के बेहतर प्रदर्शन के साथ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.6 प्रतिशत रही। एक साल पहले इसी तिमाही में यह 6.2 प्रतिशत थी। इसके साथ भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे सबसे तेजी से बढ़ती हुई आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाला देश बना हुआ है।
अक्टूबर में घटी रिटेल इंफ्लेशन
एसकेए ग्रुप के निदेशक संजय शर्मा ने कहा कि कुछ समय से आरबीआई लगातार रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखे हुए है। यह आर्थिक परिदृश्य को लेकर आरबीआई के भरोसे को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए इस बार भी उम्मीद है कि आरबीआई रेपो दर को स्थिर रखेगा, इससे संभावित घर खरीदारों को लाभ होगा।
उल्लेखनीय है कि मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में घटकर 4.87 प्रतिशत रही। एमपीसी ने अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में खुदरा मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
आरबीआई का लक्ष्य कितना है
सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। अंसल हाउसिंग के निदेशक कुशाग्र अंसल ने कहा कि अपनी पिछली घोषणाओं में आरबीआई ने रेपो दरों को यथावत रखा है, जो रियल एस्टेट कंपनियों और खरीदारों के लिए सकारात्मक रुख का संकेत देता है। हम इस बैठक के बाद भी केंद्रीय बैंक की ओर से रेपो दर बरकरार रहने की उम्मीद कर रहे हैं। स्थिर ब्याज दर घर खरीदारों को रियल एस्टेट की ओर आकर्षित करेंगी।