RBI Monetary Policy: कर्ज नहीं हुआ सस्ता, EMI पर राहत नहीं, RBI ने 6.5 फीसदी बरकरार रखी रेपो रेट
RBI MPC Meeting Announcements: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी अक्टूबर मौद्रिक समीक्षा (MPC) बैठक में रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर ही बरकरार रखा है। लगातार 10वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
रेपो रेट में नहीं हुई कटौती
मुख्य बातें
- नहीं घटी रेपो रेट
- 6.5 फीसदी पर रहेगी बरकरार
- ईएमआई पर राहत नहीं
RBI MPC Meeting Announcements: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी अक्टूबर मौद्रिक समीक्षा (MPC) बैठक में रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर ही बरकरार रखा है। लगातार 10वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उम्मीद जताई जा रही थी ग्लोबल फैक्टर्स, क्रूड ऑयल में तेजी और घरेलू विकास की संभावनाओं के अलावा इस साल महंगाई बढ़ने के मद्देनजर आरबीआई अक्टूबर में भी रेपो रेट में कटौती नहीं करेगा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार मैक्रोइकोनॉमिक कंडीशंस और फ्यूचर आउटलुक का मूल्यांकन करने के बाद एमपीसी के 6 में से 5 सदस्यों ने रेपो रेट को 6.5% पर बनाए रखने का निर्णय लिया।
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क्या पड़ेगा असर (Repo Rate)
रेपो रेट को न घटाने से कर्ज सस्ता नहीं होगा। इसके नतीजे में लोन लेने वालों की EMI नहीं घटेगी। मगर कर्ज महंगा ने होने से EMI में भी बढ़ोतरी नहीं होगी। हालाँकि एमपीसी ने मौद्रिक नीति के रुख को ग्रोथ पर फोकस करने के लिए ‘withdrawal of accommodation’ से बदलकर ‘तटस्थ’ (Neutral) कर दिया है।
पेश किया GDP का अहम डेटा
- पहली तिमाही में रियल GDP में 6.7% की वृद्धि हुई
- वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी 7.2% रहने का अनुमान
- वित्त वर्ष 2025 के लिए मुद्रास्फीति 4.5% रहने का अनुमान
- आरबीआई गवर्नर दास ने संकेत दिया है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मंदी के संकेत दिख रहे हैं
- सीपीआई मुद्रास्फीति दूसरी तिमाही में 4.1% रहने का अनुमान
- तीसरी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति 4.8% तक बढ़ने की उम्मीद है
- चौथी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति 4.2% रहने का अनुमान है
- वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति 4.3% रहने का अनुमान है
रिजर्व बैंक के फैसले से मंहगी EMI देने वालों को निराशा
वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अशवनी राणा ने कहा कि रिजर्व बैंक की बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया। 2024 में पांचवीं बार लगातार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया। महंगाई दर को काबू में रखने के लिए रिजर्व बैंक के प्रयास जारी हैं लेकिन रिजर्व बैंक के अनुसार फूड इंफ्लेशन (खाद्य महंगाई) टार्गेट से अधिक है। इसलिए अभी रेपो रेट 6.50 फीसदी ही रहेगी।
रेपो रेट में कमी होने का इंतजार कर रहे बैंकों के ग्राहकों को निराशा हाथ लगी है। फेडरल रिजर्व के ब्या दर में कमी के बाद लगा था कि रिजर्व बैंक भी रेपो रेट में बदलाव करेगा और त्योहारों से पहले महंगी EMI देने वालों को गिफ्ट मिलेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं है।
वहीं बेसिक होम लोन के सीईओ एवं सह-संस्थापक अतुल मोंगा का कहना है कि ‘आरबीआई द्वारा ‘निष्पक्ष’ रूख अपनाने का फैसला भावी मौद्रिक नीति के प्रति संतुलित दृष्टिकोण की ओर इशाराकरता है। हालांकि यह होम लोन की ब्याज़ दरों को कम करने की गारंटी नहीं देता, लेकिन सेंट्रल बैंक को मुद्रास्फीतिके भावी रूझानों एवं आर्थिक प्रदर्शन के आधार पर दरों को समायोजित करने की मौका देता है।अगर मुद्रास्फीती नियन्त्रण में रहती है और आर्थिक स्थिति स्थिर बनी रहती है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आरबीआई आगामी बैठकों में रेपो दरों में कमी ला सकता है। जैसा कि उद्योग जगत का अनुमान है, अगर ऐसा होताहै, तो दिसम्बर या 2025 की शुरूआत तक ऋण लेने वालों की ईएमआई कम हो जाएगी, हालांकि यह बैंक पर भीनिर्भर कर सकता है। अगर आने वाले समय में आरबीआई द्वारा दरें की जाती हैं तो नए ऋण लेने वालों को अनुकूल माहौल का फायदा मिलेगा।
घट सकता है खाद्य मुद्रास्फीति का दबाव
गवर्नर दास ने कहा कि खरीफ की बुआई और मिट्टी में अच्छी नमी के कारण अनुकूल परिस्थितियों के चलते खाद्य मुद्रास्फीति का दबाव कम हो सकता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि कोर मुद्रास्फीति अपने निचले स्तर पर पहुंच गई है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि घरेलू ग्रोथ ने अपनी गति बनाए रखी है, और हमारी पिछली बैठक के बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है। हालांकि, भू-राजनीतिक संघर्षों, वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव और बढ़े हुए पब्लिक डेट के कारण निगेटिव जोखिम बने हुए हैं। अच्छी बात यह है कि ग्लोबल ट्रेड में सुधार के संकेत मिल रहे हैं।
महंगाई की टेंशन बरकरारशक्तिकांत दास ने कहा कि खाद्य और धातु की कीमतों में हाल ही में हुई वृद्धि अगर बनी रहती है, तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के जोखिम को बढ़ा सकती है। कोर मुद्रास्फीति कंट्रोल में रहने की उम्मीद है।
केंद्रीय बैंक ने इस बात पर जोर दिया कि इसने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं, जिससे इसे प्रभावी रूप से लक्ष्य सीमा में वापस लाया जा सके। दास ने कहा कि भारतीय रुपया अन्य मुद्राओं के बीच सबसे कम अस्थिर बना हुआ है
UPI पेमेंट लिमिट बढ़ाई
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) को बढ़ावा देने के लिए ट्रांजेक्शन की लिमिट 5,000 रु से बढ़ाकर 10,000 रु की जाएगी। इस बढ़ोतरी का मकसद बड़े लेनदेन को सुविधाजनक बनाना है, जिससे डिजिटल पेमेंट सिस्टम यूजर्स के लिए अधिक सुलभ और सुविधाजनक बन सके।
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काशिद हुसैन author
काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर व...और देखें
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