अब फटाफट नहीं मिलेगा पर्सनल और क्रेडिट कार्ड पर लोन,RBI ने बैंकों-फाइनेंस कंपनियों की कस दी नकेल

RBI Strict Norms For Personal Loan: रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में रिटेल लोन की श्रेणी में कुछ लोन में अधिक बढ़ोतरी की बात कही थी। उन्होंने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को अपनी आंतरिक निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने, बढ़ते जोखिमों से निपटने तथा अपने हित में उपयुक्त सुरक्षा कदम उठाने की सलाह दी थी

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आरबीआई की सख्ती

RBI Strict Norms For Personal Loan:अब बैंक आपको हर बात के लिए पर्सलन लोन और क्रेडिट कार्ड पर लोन का ऑफर नहीं दे सकेंगे। असुरक्षित माने जाने वाले पर्सलन लोन पर भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिये नियमों को सख्त कर दिया है। नए मानकों के तहत रिस्क वेटेज में 25 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई है।
इसके तहत क्रेडिट कार्ड पर रिस्क वेटेज बैंकों के लिए 150 फीसदी और फाइनेंस कंपनियों के लिए 125 फीसदी कर दिया है। इसी तरह पर्सलन लोन पर रिस्क वेटेज 125 फीसदी कर दिया गया है। इस कदम से बैंकों के लिए पर्सनल लोन देने की लागत बढ़ जाएगी। और उनके पास नकदी की भी कमी आएगी। ऐसे में वह ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड से लेकर पर्सनल लोन देने में परहेज करेंगे। आरबीआई इस कदम के जरिए पर्सनल लोन की ग्रोथ में कमी लाना चाहता है।

आरबीआई गवर्नर ने जताई थी चिंता

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में रिटेल लोन की श्रेणी में कुछ लोन में अधिक बढ़ोतरी की बात कही थी। उन्होंने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को अपनी आंतरिक निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने, बढ़ते जोखिमों से निपटने तथा अपने हित में उपयुक्त सुरक्षा कदम उठाने की सलाह दी थी। दास ने जुलाई और अगस्त में क्रमश: प्रमुख बैंकों और बड़े एनबीएफसी के प्रमुख अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान पर्सनल में तेज बढ़ोतरी और बैंक उधार पर एनबीएफसी की बढ़ती निर्भरता का भी जिक्र किया था।

नए नियम गोल्ड सहित इन लोन पर नहीं होंगे लागू

आरबीआई ने इस बदलाव के बाद यह साफ किया है कि नए नियम होम लोन, एजुकेशन लोन और कार लोन पर नहीं लागू होंगे। इसके अलावा यह नियम सोने और सोने के आभूषणों के एवज में दिये गये कर्ज पर भी लागू नहीं होंगे। इन लोन पर 100 फीसदी रिस्क वेटेज ही रहेगा। आरबीआई ने अपने सर्कुलर में कहा है कि समीक्षा के आधार पर व्यक्तिगत कर्ज सहित वाणिज्यिक बैंकों (बकाया और नये) के केवल उपभोक्ता कर्ज के मामले में जोखिम के संबंध में जोखिम भार बढ़ाने का फैसला गया है।
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