RBI ने बेकाबू महंगाई पर बुलाई विशेष बैठक,जानें क्या उठ सकते हैं सख्त कदम
RBI Special Meeting on Inflation: आरबीआई अधिनियम की धारा 45 ZN के प्रावधानों के तहत मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन नवंबर को एक विशेष बैठक बुलाई गई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत कम या अधिक) पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आरबीआई मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत के भीतर सीमित रख पाने में नाकाम रहा है।
आरबीआई ने विशेष बैठक में क्या होगा
- सितंबर महीने में 5 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।
- कीमतें बढ़ने की सबसे बड़ी वजह खाद्य महंगाई दर है जो सितंबर में 8.60 फीसदी पर पहुंच गई।
- आरबीआई महंगाई पर काबू पाने के लिए मई से अब तक 1.90 फीसदी रेपो रेट बढ़ा चुका है।
महंगाई काबू रखने में नाकाम रहा है रिजर्व बैंक
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भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत कम या अधिक) पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आरबीआई मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत के भीतर सीमित रख पाने में नाकाम रहा है। इस साल जनवरी से ही मुद्रास्फीति लगातार छह प्रतिशत के ऊपर बनी हुई है। इस तरह आरबीआई लगातार तीन तिमाहियों से अपने मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहा है लिहाजा वैधानिक प्रावधानों के अनुरूप उसे सरकार को इस पर रिपोर्ट देनी होगी। आरबीआई मई से अब तक रेपो दर में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका । जिससे रेपो रेट 5.90 फीसगी पर पहुंच गई है। इसकी वजह से कर्ज लगातार महंगा हुआ और लोगों पर ईएमआई का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। जिस तरह से आरबीआई ने विशेष बैठक बुलाई है, उससे इस बात की भी संभावना है कि वह जल्द ही फिर से कर्ज महंगा कर सकता है। और महंगाई रोकने के लिए दूसरे सख्त कदम उठा सकता है।
नहीं संभल रहे हैं हालात
असल में आरबीआई को महंगाई की चिंता इसलिए डरा रही है क्योंकि वह सितंबर महीने में 5 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर में महंगाई दर (CPI)बढ़कर 7.41 फीसदी पर पहुंच गई । कीमतें बढ़ने की सबसे बड़ी वजह खाद्य महंगाई दर है जो सितंबर में 8.60 फीसदी पर पहुंच गई। जबकि अगस्त में यह 7.62 फीसदी थी। इसी तरह कपड़े-जूते की कीमतों की महंगाई दर 10.17 फीसदी, ईंधन और बिजली की महंगाई दर 10.39 फीसदी पर पहुंच गई ।यानी गरीब तबके और मध्यम वर्ग पर महंगाई का सबसे ज्यादा बोझ पड़ रहा है।
बढ़ती महंगाई को काबू करने के लिए कर्ज महंगा होने का असर ग्रोथ पर भी दिख रहा है। अगस्त में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) 0.8 फीसदी घट गया। जो पिछले 18 महीनों का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले फरवरी 2021 में देश के औद्योगिक उत्पादन में 3.2 फीसदी की भारी गिरावट देखने को मिली थी। इसका मतलब है कि मांग कम होने से कंपनियों ने उत्पादन घटा दिया है। इन्ही संकेतों के कारण आईएमएफ ने भारत की GDP ग्रोथ रेट का अनुमान साल 2022-23 के लिए 7.4 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है। वहीं विश्व बैंक ने इसी अवधि के लिए 6.5 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया है।
आरबीआई ने 10 वयक्तियों के खाते के बारे में मांगी जानकारी
बृहस्पतिवार को ही आरबीआई ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से उन 10 व्यक्तियों के खातों के बारे में सरकार को ब्योरा देने को कहा, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकवादी घोषित किया था।केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चार अक्टूबर को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और अन्य प्रतिबंधित संगठनों के कुल 10 सदस्यों को आतंकवादी घोषित किया था।
आतंकवादी घोषित किए गए लोगों में हबीबुल्लाह मलिक उर्फ साजिद जट्ट (एक पाकिस्तानी नागरिक), बासित अहमद रेशी (जम्मू-कश्मीर के बारामूला का निवासी और इस समय पाकिस्तान में है), इम्तियाज अहमद कंडू उर्फ सज्जाद, (जम्मू-कश्मीर के सोपोर का निवासी और इस समय पाकिस्तान में है), जफर इकबाल उर्फ सलीम (पुंछ का निवासी और इस समय पाकिस्तान में है) और शेख जमील-उर-रहमान उर्फ शेख साहब (पुलवामा का निवासी) शामिल हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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