RBI To Sell Bond: RBI राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ से बेचेगा सरकारी Bonds, आएगा 4.73 लाख करोड़ रु का फंड

RBI To Sell Bond: आरबीआई ने कहा है कि आरबीआई बाजार की स्थितियों और अन्य जरूरी फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए बिना अड़चन वाले तरीके से नीलामी आयोजित करने का प्रयास करेगा और तिमाही के दौरान उधार को समान रूप से वितरित करेगा।

RBI To Sell Bond

आरबीआई बेचेगा बॉन्ड

मुख्य बातें
  • आरबीआई बेचेगा बॉन्ड
  • 4.73 लाख करोड़ होगी कीमत
  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ से बेचेगा

RBI To Sell Bond: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 2025 की जनवरी-मार्च तिमाही में राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ से 4.73 लाख करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्ड बेचेगा। आरबीआई ने इसके लिए एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें तिमाही के दौरान होने वाली नीलामी का साप्ताहिक कार्यक्रम और भागीदारी की पुष्टि करने वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के नाम भी शामिल किए गए हैं। केंद्रीय बैंक के मुताबिक उधार की असल राशि और भाग लेने वाले राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की डिटेल वास्तविक नीलामी के दिन से दो/तीन दिन पहले प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सूचित की जाएगी और यह राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों की आवश्यकता, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 293(3) के तहत भारत सरकार से अनुमोदन और बाजार की स्थितियों पर निर्भर करेगा।

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कैसे फंड डिस्ट्रिब्यूट करेगा RBI

आरबीआई ने कहा है कि आरबीआई बाजार की स्थितियों और अन्य जरूरी फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए बिना अड़चन वाले तरीके से नीलामी आयोजित करने का प्रयास करेगा और तिमाही के दौरान उधार को समान रूप से वितरित करेगा।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि आरबीआई के पास राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के परामर्श से नीलामी की तारीखों और राशि को संशोधित करने का अधिकार रखेगा।

क्या होते हैं सरकारी बॉन्ड

सरकारी बॉन्ड या सरकारी सिक्योरिटीज (G-Sec) केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी किया जाने वाला एक ट्रेडेबल इंस्ट्रूमेंट है। यह सरकार के डेट दायित्व को स्वीकार करता है। ऐसी सिक्योरिटीज शॉर्ट टर्म (आमतौर पर ट्रेजरी बिल कहलाती हैं, जिनकी मैच्योरिटी अवधि एक वर्ष से कम होती है) या लॉन्ग टर्म (आमतौर पर सरकारी बॉन्ड या डेटेड सिक्योरिटीज कहलाती हैं, जिनकी मैच्योरिटी अवधि एक वर्ष या उससे अधिक होती है) होती हैं।

जी-सेक में डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं होता है और इसलिए इन्हें रिस्क-फ्री गिल्ट-एज्ड इंस्ट्रूमेंट कहा जाता है।

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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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