Reliance Disney Deal: रिलायंस-डिज्नी मर्जर डील पर CCI ने मांगा जवाब, कंप्टीशन खत्म होने का डर

Reliance Disney Deal: बंधित पक्षों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा गया है कि सौदे की विस्तृत जांच क्यों नहीं की जानी चाहिए क्योंकि क्रिकेट प्रसारण अधिकारों सहित कुछ व्यावसायिक क्षेत्रों के संबंध में प्रतिस्पर्धा-रोधी चिंताएं हैं। समझौते के तहत रिलायंस समूह की मीडिया इकाई वायकॉम18 और स्टार इंडिया का विलय होगा।

Reliance Disney Merger Deal

रिलायंस-डिज्नी मर्जर डील

Reliance Disney Deal:भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने रिलायंस समूह की मीडिया इकाई वायकॉम18 और स्टार इंडिया के विलय संबंधी 8.5 अरब डॉलर (70000 करोड़) के प्रस्तावित सौदे को लेकर प्रतिस्पर्धा-रोधी आशंकाएं जताते हुए संबंधित पक्षों से विस्तृत जवाब मांगे हैं। यदि निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने वाला निकाय सीसीआई इस सौदे को लेकर संबंधित पक्षों के जवाबों से संतुष्ट नहीं होता है तो वह सौदे की सार्वजनिक जांच का कदम उठा सकता है।इस साल मई में दोनों कंपनियों ने विलय सौदे को मंजूरी के लिए प्रतिस्पर्धा आयोग के पास भेजा था। नियामक ने इस पर संबंधित पक्षों से विभिन्न स्पष्टीकरण और अतिरिक्त जानकारियां मांगी थीं।

कारण बताओ नोटिस

सूत्रों ने कहा कि संबंधित पक्षों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा गया है कि सौदे की विस्तृत जांच क्यों नहीं की जानी चाहिए क्योंकि क्रिकेट प्रसारण अधिकारों सहित कुछ व्यावसायिक क्षेत्रों के संबंध में प्रतिस्पर्धा-रोधी चिंताएं हैं।इस संबंध में टिप्पणी के लिए प्रतिस्पर्धा आयोग और डिज्नी-स्टार को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला है।वायकॉम18 का स्वामित्व रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास है जबकि स्टार इंडिया का नियंत्रण अमेरिकी कंपनी वॉल्ट डिज्नी के पास है।

इस साल फरवरी में दोनों कंपनियों ने कई अरब डॉलर के इस विलय सौदे की घोषणा की थी। सौदा अमल में आने पर बनने वाली नई इकाई भारतीय मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी होगी। उसके पास कई भाषाओं में प्रसारित होने वाले 100 से अधिक चैनल, दो प्रमुख ओटीटी मंच और देशभर में 75 करोड़ का दर्शक आधार होगा।

क्या कहता है कानून

प्रतिस्पर्धा कानून के तहत यदि प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रावधानों की प्रथम दृष्टया चिंताएं हैं तो आयोग उस सौदे को व्यापक सार्वजनिक जांच के लिए भेज सकता है। ऐसा होने पर संबंधित पक्षों को व्यापक परामर्श के लिए अपने प्रस्तावित लेनदेन के बारे में ब्योरा सार्वजनिक करना होगा।नियामक के पास प्रतिस्पर्धा-रोधी मुद्दों के समाधान के लिए कंपनियों को अपनी कुछ संपत्तियां बेचने का निर्देश देने का भी अधिकार है। हालांकि, प्रतिस्पर्धा आयोग का प्रस्तावित सौदे की सार्वजनिक जांच की दिशा में कदम बढ़ाना दुर्लभ है क्योंकि आमतौर पर संबंधित कंपनियां संबंधित आशंकाएं दूर करने के लिए नियामक के सामने योजनाएं पेश करती हैं।

मई में सौदे की मंजूरी मांगने के लिए सीसीआई को सौंपे गए नोटिस के मुताबिक, प्रस्तावित लेनदेन का उद्देश्य रिलायंस समूह के हिस्से वायकॉम 18 और वॉल्ट डिज्नी कंपनी (टीडब्ल्यूडीसी) के पूर्ण-स्वामित्व वाली स्टार इंडिया (एसआईपीएल) के मनोरंजन व्यवसायों (कुछ अन्य चिह्नित कारोबारों समेत) को मिलाना है।

विलय के बाद ऐसी होगी कंपनी

लेनदेन के बाद एसआईपीएल एक संयुक्त उद्यम बन जाएगी, जिसका स्वामित्व संयुक्त रूप से रिलायंस इंडस्ट्रीज, वायकॉम18 और मौजूदा टीडब्ल्यूडीसी अनुषंगियों के पास होगा।नोटिस में दावा किया गया था कि प्रस्तावित सौदे से भारत में प्रतिस्पर्धा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।स्टार इंडिया टीवी प्रसारण, फिल्मों और एक ओटीटी मंच का संचालन करती है। वहीं वायकॉम18 टेलीविजन चैनलों के प्रसारण, ओटीटी मंच के संचालन के अलावा फिल्म निर्माण एवं वितरण के कारोबार से भी जुड़ी है।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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