Reliance से अलग हो जाएगी ये कंपनी,बनेगी जियो फाइनेंशियल, मिलेंगे फ्री शेयर
रिलायंस ने जियो फाइनेंशियल को एक अलग कंपनी बनाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए कंपनी को शेयरधारकों और लेनदारों की मंजूरी मिल गई है। ये 5वीं सबसे बड़ी फाइनेंस कंपनी बन सकती है।
रिलायंस अलग करने जा रही है जियो फाइनेंशियल
- रिलायंस अलग करेगी अपना फाइनेंस बिजनेस
- डीमर्जर प्लान से जियो फाइनेंशियल बनेगी
- बन सकती है 5वीं सबसे बड़ी फाइनेंस कंपनी
Reliance to demerge
मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani), जो कि एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति और रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के चेयरमैन हैं, लगातार नये-नये सेक्टरों में एंट्री कर रहे हैं।
किसे मिलेंगे फ्री शेयर
रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के शेयरधारकों और लेनदारों से मिली मंजूरी के बाद, रिलायंस स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंट्स का नाम बदलकर जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (Jio Financial Services Ltd) कर दिया जाएगा। डीमर्जर स्कीम के तहत, आरआईएल के शेयरधारकों को अपने हर शेयर के बदले जियो फाइनेंशियल का एक शेयर मिलेगा और वो भी बिना पैसे खर्च किए। यानी उन्हें नई कंपनी के शेयर फ्री मिलेंगे, पर अपने ही मौजूदा शेयरों के बदले।
बन सकती है 5वीं सबसे बड़ी फाइनेंस कंपनी
ईटी की रिपोर्ट में सेंट्रम ब्रोकिंग की कैलकुलेशन के हवाले से कहा गया है कि जियो फाइनेंशियल नेटवर्थ के मामले में भारत की पांचवीं सबसे बड़ी फाइनेंसर बन सकती है। ये कोटक महिंद्रा बैंक और बजाज फाइनेंस जैसी कंपनियों से साइज में बड़ी होगी। जियो फाइनेंशियल की कुल नेटवर्थ ऑन मार्केट वैल्यू 10.84 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है।
हो सकती है स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार जियो फाइनेंशियल इस साल अक्टूबर तक स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट भी हो सकती है। यानी डीमर्ज होने पर इसके शेयर प्राइस को अनलॉक करने से शेयरधारकों को भी लाभ होगा।रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि डीमर्जर फाइनेंशियल सर्विस बिजनेस में खास रुचि रखने वाले निवेशकों, स्ट्रेटेजिक पार्टनर्स, लेंडर्स और बाकी स्टेकहोल्डर्स के अलग-अलग समूहों को आकर्षित कर सकती है।
कितना है रिलायंस का फाइनेंस बिजनेस
31 मार्च, 2022 तक रिलायंस के फाइनेंस कारोबार का टर्नओवर 1,387 करोड़ रुपए था। बता दें कि आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व नॉन-एक्जेक्यूटिव चेयरमैन रहे केवी कामत के रहते जियो फाइनेंशियल रिलायंस के कंज्यूमर बिजनेस की नेशनल लेवल उपस्थिति का फायदा उठाते हुए रिटेल लेंडिंग में मुकाबले को और बढ़ा सकती है।
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