Inflation Impact on Rural: शहरों के मुकाबले गांवों में अब भी महंगाई ज्यादा, मोदी 3.0 के लिए बड़ी चुनौती
Inflation In Rural Area in India: एनएसओ के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा मुद्रास्फीति 5.28 प्रतिशत रही, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 4.15 प्रतिशत रही। यानी ग्रामीण भारत में महंगाई दर आरबीआई के लिए अभी भी चिंता का विषय है। यह ओडिशा में सबसे अधिक 6.25 प्रतिशत रही जबकि दिल्ली में सबसे कम 1.99 प्रतिशत मुद्रास्फीति दर्ज की गई।
ग्रामीण महंगाई बढ़ी चुनौती
Inflation In Rural Area in India: खाद्य उत्पादों की कीमतों में मामूली कमी आने से खुदरा मुद्रास्फीति मई के महीने में एक साल के निचले स्तर 4.75 प्रतिशत पर आ गई और यह भारतीय रिजर्व बैंक के टारगेट के दायरे में बनी हुई है।बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति में जनवरी से ही जारी गिरावट का सिलसिला मई में भी कायम रहा।अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति 4.83 प्रतिशत थी जबकि मई, 2023 में यह 4.31 प्रतिशत पर रही थी जो इसका पिछला निचला स्तर है। हालांकि अभी खाने-पीने की चीजों की महंगाई परेशान कर रही है।राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 8.69 प्रतिशत रही जो अप्रैल के 8.70 प्रतिशत से थोड़ा ही कम है। और ग्रामीण भारत में महंगाई ज्यादा परेशान कर रही है।
ग्रामीण भारत में अभी भी महंगाई ज्यादा
एनएसओ के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा मुद्रास्फीति 5.28 प्रतिशत रही, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 4.15 प्रतिशत रही। यानी ग्रामीण भारत में महंगाई दर आरबीआई के लिए अभी भी चिंता का विषय है।राज्यों के स्तर पर आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में मुद्रास्फीति राष्ट्रीय स्तर 4.75 प्रतिशत से अधिक रही। यह ओडिशा में सबसे अधिक 6.25 प्रतिशत रही जबकि दिल्ली में सबसे कम 1.99 प्रतिशत मुद्रास्फीति दर्ज की गई।एक साल के निचले स्तर पर महंगाई दर
जनवरी, 2024 से मुख्य मुद्रास्फीति में गिरावट देखी गई है। यह फरवरी में 5.1 प्रतिशत थी और वहां से घटते हुए अप्रैल में 4.8 प्रतिशत पर आ गई थी।आंकड़ों से पता चलता है कि सीपीआई पर आधारित अखिल भारतीय मुद्रास्फीति मई, 2024 में एक साल पहले के महीने के बादसबसे कम है, जब यह 4.31 प्रतिशत थी। यह सितंबर, 2023 से ही छह प्रतिशत से नीचे बनी हुई है।मई के दौरान सब्जियों की कीमतें अप्रैल की तुलना में अधिक थीं जबकि फलों के मामले में स्थिति उलटी थी। रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। इस खुदरा मुद्रास्फीति को ही ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों पर कोई फैसला करता है।जून की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। यह पहली तिमाही में 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई है।
जून में मिलेगी और राहत
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर कहा कि मई के मुकाबले जून में खाद्य और पेय पदार्थों की मुद्रास्फीति कुछ हद तक कम हो जाएगी, जबकि अन्य उप-समूह सात प्रतिशत से ऊपर रहेंगे।नायर ने कहा कि इससे जून, 2024 में मुख्य खुदरा मुद्रास्फीति को पांच प्रतिशत से नीचे रखने में मदद मिलेगी। इसके बाद अनुकूल आधार होने से जुलाई और अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति के तेजी से घटकर 2.5-3.5 प्रतिशत हो जाने की उम्मीद है।
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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