Retirement Planning: रिटायरमेंंट के बाद की जिंदगी को लेकर बढ़ी जागरूकता, पुरूषों से आगे महिला

Retirement Planning: बाजार शोध एवं विश्लेषण कारोबार से जुड़ी फर्म कांतार के साथ मिलकर मैक्स लाइफ ने ‘भारत सेवानिवृत्ति सूचकांक अध्ययन’ में पाया कि शहरी क्षेत्रों में सेवानिवृत्ति को लेकर तैयारी सूचकांक बढ़कर 49 हो गया, जो इससे पहले सर्वेक्षण के तीसरे संस्करण में 47 था।

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रिटायरमेंट लाइफ को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी (तस्वीर-Canva)

Retirement Planning: देश में सेवानिवृत्ति के बाद की जिंदगी को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है और उस दौर के लिए पुरुषों के मुकाबले महिलाएं कहीं अधिक तैयार दिख रही हैं। मैक्स लाइफ इंश्योरेंस इंश्योरेंस कंपनी लि. की बुधवार को जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है। बाजार शोध एवं विश्लेषण कारोबार से जुड़ी फर्म कांतार के साथ मिलकर किए गए मैक्स लाइफ के ‘भारत सेवानिवृत्ति सूचकांक अध्ययन’ (आईआरआईएस) के चौथे संस्करण के मुताबिक, देश के शहरी क्षेत्रों में सेवानिवृत्ति को लेकर तैयारी सूचकांक बढ़कर 49 हो गया, जो इससे पहले सर्वेक्षण के तीसरे संस्करण में 47 था। हालांकि, देश में कामकाजी शहरी महिलाओं के मामले में सूचकांक 50 रहा जो पुरुषों के मुकाबले एक अंक ज्यादा है। यह दर्शाता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं सेवानिवृत्ति से जुड़ी तैयारियों को लेकर ज्यादा सजग हैं।

सर्वेक्षण के मुताबिक, स्वास्थ्य और वित्तीय नियोजन को लेकर बढ़ती जागरूकता और इस दिशा में उठाये गये कदमों के साथ सेवानिवृत्ति की तैयारी के मामले में सुधार हुआ है। ताजा अध्ययन में 'गिग वर्कर' यानी काम के आधार पर भुगतान पाने वाले और बिना बच्चों वाले कामकाजी पति-पत्नी (डिन्क्स) दो नये क्षेत्र जोड़े गये हैं। बिना बच्चों वाले कामकाजी दम्पति की स्थिति इस मामले में 49 अंक के साथ राष्ट्रीय औसत के बराबर ही है। यह इस समूह में स्वास्थ्य एवं वित्तीय जरूरतों को लेकर मजबूत तैयारी दिखाता है। वहीं गिग वर्कर का अंक केवल 46 रहा, जो इस श्रेणी में सेवानिवृत्ति को लेकर कमजोर तैयारी को दर्शाता है।

मैक्स लाइफ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक प्रशांत त्रिपाठी ने कहा कि अध्ययन के चौथे संस्करण में सामने आया है कि शहरी क्षेत्र में सेवानिवृत्ति सूचकांक बढ़ने के बावजूद अब भी तीन में से एक भारतीय सेवानिवृत्ति के बाद के वर्षों के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह समझना होगा कि भविष्य के लिए सेवानिवृत्ति की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है। इसका कारण लोगों की जीवन प्रत्याशा का बढ़ना है। इसलिए अब लोगों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद ज्यादा वर्षों के लिए वित्तीय योजना जरूरी हो गई है।

त्रिपाठी ने कहा कि भारत में तेजी से बढ़ती ‘गिग इकोनॉमी’ को ध्यान में रखते हुए हमने इस बार गिग कर्मचारियों को भी अध्ययन में शामिल किया। हमने पाया कि सेवानिवृत्ति को लेकर कमजोर तैयारियों के साथ ये कर्मचारी सूचकांक में पीछे हैं। इस दिशा में पहल करने की जरूरत है ताकि इस वर्ग को राष्ट्रीय औसत के बराबर लाया जा सके। अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, अब शहरी भारतीयों की बड़ी आबादी मानती है कि सेवानिवृत्ति के बारे में योजना की शुरुआत जल्दी कर देनी चाहिए। 44 प्रतिशत लोगों ने 35 साल से कम उम्र को सेवानिवृत्ति योजना की शुरुआत के लिए सही आयु माना। पिछले अध्ययन में ऐसे लोगों की संख्या 38 प्रतिशत थी। सर्वेक्षण के दौरान 50 साल से अधिक उम्र के 93 प्रतिशत लोगों ने इस बात पर अफसोस जताया कि उन्होंने सेवानिवृत्ति योजना में देरी कर दी।

अध्ययन के मुताबिक, 97 प्रतिशत शहरी भारतीय एक उपयुक्त वित्तीय विकल्प के रूप में जीवन बीमा से अवगत हैं। वहीं 67 प्रतिशत लोगों ने सेवानिवृत्ति के बाद एक आदर्श वित्तीय विकल्प के तौर पर जीवन बीमा में निवेश किया है। 37 प्रतिशत ने स्वास्थ्य बीमा में निवेश किया है। हालांकि, 31 प्रतिशत शहरी लोग यह नहीं जानते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद अपने मौजूदा जीवनस्तर को बनाए रखने के लिए उन्हें कितनी राशि की जरूरत होगी।

अध्ययन से यह भी पता चला कि निवेश के भरोसेमंद विकल्प के रूप में ‘राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली’ (एनपीएस) की स्वीकार्यता बढ़ रही है। 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रतिभागियों ने इसे सुरक्षित एवं भरोसेमंद विकल्प के रूप में स्वीकारा है। इसमें सेवानिवृत्ति योजना को लेकर क्षेत्रीय स्तर पर भी जानकारी सामने आई है। पूर्वी क्षेत्र सेवानिवृत्ति के बाद की योजना के मामले में सबसे आगे है। यह सर्वेक्षण इस साल जून-जुलाई के दौरान 28 शहरों में 2077 लोगों के बीच किया गया था।

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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें

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