भारत ही नहीं, दुनिया के लिए भी मेक इन इंडिया का आह्वान, टाइम्स ग्रुप के कार्यक्रम में बोले उर्जा मंत्री आरके सिंह
Times Group Worldwide Media Festival of Manufacturing 2024: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह (RK Singh) ने भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होने की चुनौती को स्वीकार करने तथा न केवल भारत बल्कि दुनिया के लिए मेक इन इंडिया बनाने का आह्वान किया।
टाइम्स ग्रुप के कार्यक्रम में केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह
Times Group Worldwide Media Festival of Manufacturing 2024: केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह (RK Singh) ने भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होने की चुनौती को स्वीकार करने तथा न केवल भारत बल्कि विश्व के लिए मेक इन इंडिया बनाने का आह्वान किया है। आर के सिंह सात मार्च को नई दिल्ली में द टाइम्स ग्रुप वर्ल्डवाइड मीडिया फेस्टिवल ऑफ मैन्युफैक्चरिंग 2024 के दूसरे संस्करण को संबोधित करते हुए ये बात कही। मंत्री ने कहा कि भारतीय उद्योग को बाहरी बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने और निर्यात करने में सक्षम होने के लिए चारों ओर देखने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई देश नहीं है जो पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो सकता है, प्रत्येक देश को कुछ आयात करने की जरुरत होती है, जिसके लिए आपको उस देश को बेचने में सक्षम होने की जरुरत होती है, जिसके बदले में गुणवत्ता, परिष्करण और उत्पाद सुधार की जरुरत होती है। उद्योग ने लाइसेंसिंग के दौर में ऐसा नहीं किया गया।
दुनिया चीन प्लस वन को देख रही है, हम उसे बनना चाहते हैं
मंत्री ने उद्योग के प्रतिनिधियों से कहा कि उनके प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता इतनी अच्छी होनी चाहिए कि वे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हों और उनकी कीमतें उचित होनी चाहिए। अंतत: आपको प्रतिस्पर्धा करनी होगी और आप जब उन्हें पुराने या खराब गुणवत्ता वाले उपकरण या उच्च कीमत देंगे तो वे अपना नुकसान क्यों उठाएंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया चीन प्लस वन को देख रही है, हम वह बनना चाहते हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम भारत में आकर उद्योग स्थापित करने वाले लोगों के लिए भी खुले हैं। हम चाहते हैं कि मैन्यूफैक्चरिंग यहां आए। दुनिया चीन प्लस वन की ओर देख रही है, हम वह बनना चाहते हैं।
बिजली सेक्टर में 9 वर्षों में 20 लाख करोड़ रुपए का निवेश
मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर द्वारा ऐतिहासिक रूप से सामना की गई चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए मंत्री आरके सिंह ने कहा कि मांग में कभी कमी नहीं रही है, लेकिन सरकार द्वारा लाई गई विकास की गति ने मांग को कई गुना बढ़ा दिया है। बिजली सेक्टर के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले 9 वर्षों के दौरान बिजली सेक्टर में करीब 20 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है और अगले 5–7 वर्षों में 17 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। पिछले 10 वर्षों में हमने 190 गीगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता जोड़ी है, इसे करीब 436 गीगावॉट तक बढ़ाया है, इसे करीब दोगुना कर दिया है। इसके लिए बहुत सारे थर्मल और नवीकरणीय उपकरणों की जरुरत थी। हमने ट्रांसमिशन लाइनों में 200,000 सर्किट किलोमीटर जोड़े। आज हमारी ट्रांसमिशन सिस्टम विश्व की सबसे बड़ी एकीकृत ट्रांसमिशन सिस्टम है। हम देश के एक कोने से दूसरे कोने में 116 गीगावाट ट्रांसफर कर सकते हैं। मेरे कार्यकाल में हमने करीब 3,000 नए सबस्टेशन बनाने, करीब 4,000 सबस्टेशन को उन्नत करने, एचटी और एलटी लाइनों के 8.5 लाख सर्किट किलोमीटर और 7.5 लाख ट्रांसफार्मर जोड़ने में करीब 2 लाख करोड़ रुपए खर्च किए।
बिजली की मांग में 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी
विद्युत मंत्री सिंह ने कहा कि विस्तार चल रहा है और हमें 2030 तक बिजली मात्रा को देखते हुए आकार को दोगुना करने की जरुरत है। 2013-14 से बिजली की मांग में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई, पिछले वर्ष 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन हम आधारभूत अवसंरचना में विस्तार और उन्नयन के कारण इसे पूरा करने में सक्षम हुए। हम लगभग 85 गीगावॉट थर्मल क्षमता जोड़ रहे हैं, हमारे पास निर्माणाधीन 14 गीगावॉट हाइड्रो है और 14-15 गीगावॉट हाइड्रो क्षमता मंजूरी के अंतर्गत है। मंत्री ने याद दिलाया कि डिस्कॉम की व्यवहार्यता एक ऐसा विषय है जो पहले बिजली क्षमता में वृद्धि के रास्ते में रोड़ा था। उन्होंने कहा कि पहले हमारे पास एनसीएलटी के अंतर्गत करीब 60 गीगावॉट था, लेकिन आज विद्युत सेक्टर की सभी कंपनियों ने अपने शेयर की कीमतों को दोगुना या तिगुना कर दिया है और उनका मार्केट कैप 3-4 गुना बढ़ गया है, यह दिखाता है कि वे कितने व्यवहार्य हो गए हैं। हमने एटीएंडसी नुकसान को 2014 में 27 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है और अगले वर्ष यह 12 प्रतिशत होगा। हमने सुनिश्चित किया है कि सब्सिडी भुगतान समय पर किया जाए और बिलिंग और संग्रह क्षमता में सुधार हुआ है और निवेश आ रहा है।
विकास के लिए बिजली उपलब्धता से कोई समझौता नहीं
मंत्री ने कहा कि देश ताप विद्युत क्षमता में वृद्धि करने जा रहा है, क्योंकि हम विकास के लिए विद्युत की उपलब्धता से कोई समझौता नहीं करेंगे। ऊर्जा सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और ऊर्जा संक्रमण नंबर दो है, यद्पि हम पहले से ही ऊर्जा संक्रमण में विश्व में अग्रणी है। हमारा प्रति व्यक्ति उत्सर्जन पहले ही वैश्विक औसत का एक तिहाई है। हम एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था हैं जिसने समय से पहले अपने दोनों एनडीसी हासिल किए हैं। विद्युत तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने उद्योग को बताया कि एक समय था जब उन्हें लगता था कि हमारे पास अधिशेष बिजली क्षमता है, लेकिन जब अर्थव्यवस्था का विस्तार प्रारंभ हुआ, तो मांग बढ़ने लगी और सरकार को और क्षमता जोड़ने का निर्णय करना पड़ा। हमने बहुत सारी नवीकरणीय क्षमता जोड़ी थी लेकिन हमारे पास रात में सौर ऊर्जा उपलब्ध नहीं है और भंडारण महंगा है। विकसित विश्व संक्रमण के बारे में गंभीर नहीं था, उन्होंने पर्याप्त ऊर्जा भंडारण क्षमता नहीं जोड़ी। जब हमने भंडारण के लिए बोली लगाई तो कीमत 10 रुपए प्रति किलोवाट घंटा थी, जो व्यवहार्य नहीं थी। इसलिए, हमने थर्मल क्षमता बढ़ाने का निर्णय लिया और हम भंडारण क्षमता बढ़ाने जा रहे हैं ताकि यह व्यवहार्य हो सके। हम 4,000 मेगावाट भंडारण क्षमता के लिए बोलियां लगाने जा रहे हैं और हमने विभिन्न चरणों में 50 गीगावॉट पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट भी शुरू किए हैं।
बिजली मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता 20 गीगावॉट से बढ़कर 50 गीगावॉट
मंत्री आरके सिंह ने मांग पैदा कर रहे विद्युत सेक्टर के विकास के बारे में कहा कि सरकार चाहती है कि यह डिमांड मेड इन इंडिया द्वारा पूरी की जाए, जिसके लिए आवश्यक मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता बहुत है। उन्होंने कहा कि हमने पहले से ही नीतिगत उपाय लागू कर दिए हैं, जैसे मॉड्यूल पर 40 प्रतिशत का टैरिफ अवरोध और सेल पर 25 प्रतिशत का अवरोध, ताकि उद्योग सुरक्षित रहे। हमने गुणवत्ता संबंधी बाधाएं रखी हैं ताकि बाह्य रूप से निर्मित उपकरणों को योग्य होने में समय लगे। आज हमारी मॉड्यूल मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता 20 गीगावॉट से बढ़कर 50 गीगावॉट हो गई है और सेल निर्माण क्षमता 2 गीगावॉट से बढ़कर करीब 12 - 13 गीगावॉट हो गई है।
नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि की गति विश्व में सबसे अधिक
मंत्री ने मैन्यूफैक्चरिंग के महत्व और उद्योग को दी गई सहायता के बारे में कहा कि बिजली सेक्टर ने जल्दी ही शुरुआत कर दी थी, जिससे उद्योग की रक्षा करते हुए एक अवसर मिला। उन्होंने कहा कि 2018 में हमने एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें कहा गया था कि हर आयातित उपकरण को कड़े परीक्षणों से गुजरना जरुरी है। थर्मल उपकरणों के लिए हमने चरणबद्ध कार्यक्रम शुरू किया जिससे घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहन मिला। हमने तेज गति से संक्रमण शुरू किया। आईईए के मुताबिक भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि की गति विश्व में सबसे अधिक है। हमारी गैर-जीवाश्म क्षमता लगभग 186 गीगावॉट है, जिसमें से 7 गीगावॉट परमाणु है और शेष सौर, पवन, हाइड्रो है।
राज्य फ्री बिजली दे सकते हैं लेकिन करना होगा पेमेंट
बिजली मंत्री ने कहा कि सरकार का रुख परिवर्तित होकर समस्याओं के समाधान का हो गया है। उन्होंने राज्यों की ओर से अधिक राजकोषीय विवेक को प्रोत्साहित करने के लिए किए गए उपायों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि हमने पहले ही ऐसे साधन लाने शुरू कर दिए हैं जो राज्यों को वित्तीय रूप से अधिक नियुक्तिसंगत बनाएंगे। उदाहरण के लिए हमने कहा है कि राज्यों द्वारा दी गई सब्सिडी का भुगतान करना होगा। हमने कहा है कि राज्य मुफ्त बिजली दे सकते हैं लेकिन उन्हें उत्पादन कंपनियों को भुगतान करने की आवश्यकता है; जेनको बकाया अब पूरी तरह से अद्यपन है। पहले का बकाया 1.35 लाख करोड़ रुपये से घटकर 44,000 करोड़ रुपये हो गया है।
टाइम्स समूह की बी2बी पत्रिका द मशीनिस्ट ने आयोजित किया था 'मेक इन इंडिया के 10 वर्ष’
मैन्यूफैक्चरिंग महोत्सव का दूसरा संस्करण 'मेक इन इंडिया के 10 वर्ष’ मनाता है पिछले दशक में हुई प्रगति का उत्सव मनाने, सफलता की कहानियों पर प्रकाश डालने और भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए आगे का रास्ता तैयार करने के लिए। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए टाइम्स समूह की बी2बी पत्रिका द मशीनिस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य एक ऐसा मंच बनना है जहां सरकार और निजी क्षेत्र अपनी नीतियों, निवेश के अवसरों, विकास पथ और 2047 में भारत के लिए अपने विजन को उजागर कर सकें।
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