मिल जाए महिलाओं को अवसर,तो 3 साल में 770 अरब डॉलर बढ़ जाएगी भारतीय इकोनॉमी
Role Of Women in Economy: CII की मार्च 2022 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, देश में 43 करोड़ से ज्यादा महिलाएं कामकाज उम्र की कैटेगरी में आती हैं। इसमें से करीब 34.3 करोड़ महिलाएं असंगठित क्षेत्र में काम करती है। और जीडीपी में उनकी करीब 18 फीसदी आबादी है।
महिलाओं की इकोनॉमी भागीदारी बढ़ाना जरूरी
Role Of Women in Economy: महात्मा गांधी ने कहा था'कोई देश कितना महान है उसे आंकने के लिए यह जानना जरूरी है कि वह अपने सबसे कमजोर वर्ग के साथ कैसा व्यवहार करता है।' ठीक इसी तरह किसी देश की आर्थिक तरक्की को आंकने का तरीका यह है कि उस देश की महिलाओं का इकोनॉमी में क्या योगदान है। भारतीय इकोनॉमी इस समय दुनिया की 5 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है। लेकिन महिलाओं की इकोनॉमी में योगदान को लेकर एक स्याह सच भी है कि आज भी उनकी असंगठित क्षेत्र में ही ज्यादा भागीदारी है। इस कमी को इशारा करते हुए मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट कहती है अगर महिलाओं को समान अवसर मिल जाए तो 2025 तक भारत की GDP में 770 अरब डॉलर का इजाफा हो जाएगा।
कामकाजी वर्ग में 43.2 करोड़ महिलाएं
उद्योग जगत के संगठन CII की मार्च 2022 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, देश में 43 करोड़ से ज्यादा महिलाएं कामकाज उम्र की कैटेगरी में आती हैं। इसमें से करीब 34.3 करोड़ महिलाएं असंगठित क्षेत्र में काम करती है। और जीडीपी में उनकी करीब 18 फीसदी आबादी है।
सीआईआई जिस असंगठित क्षेत्र की ओर इशारा कर रही है। उसमें महिलाओं का एक बड़ा वर्ग कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। असंगठित क्षेत्र में काम करने का एक बड़ा नुकसान यह है कि ज्यादातर महिलाएं बिना वेतन के काम करती हैं। और वहां उनके काम को ही काउंट नहीं किया जाता है। और जो महिलाएं असंगठित क्षेत्र में वेतन भी पाती हैं, उन्हें भी कम वेतन मिलता है। जिसका असर उनकी सेविंग और दूसरी जरूरतों पर पड़ता है।
स्टार्टअप में भागीदारी कम
भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बन चुका है। और दुनिया में सबसे ज्यादा यूनीकॉर्न में भी भारतीय तीसरे स्थान पर है। लेकिन इस ग्रोथ स्टोरी के बावजूद स्टार्टअप क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी कम है। देश के कुल स्टार्टअप फाउंडर में महिलाओं की भागीदारी केवल 10 फीसदी है। ऐसे में यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर ग्रोथ की अपार संभावनाएं हैं। सीआईआई की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी में महिलाओं को आर्थिक क्षेत्र में मिलने वाली भागीदारी की खाई को चौड़ा कर दिया है। जिसकी वजह से यह अंतर 4.3 फीसदी बढ़ गया है। साफ है अगर भारत को दुनिया में आर्थिक महाशक्ति बनना है तो महिलाओं की इकोनॉमी में भागीदारी तेजी से बढ़ानी होंगी।
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