Rubber Farming:रबर की खेती के लिए मिलेंगे प्रति हेक्टेअर 50000, सोसायटी के लिए भी पैसा बढ़ा
Rubber Farming: रबर उत्पादक सोसायटी (आरपीएस) को बढ़ावा देने के लिए अगले दो वर्षों में लगभग 250 नए आरपीएस के गठन के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। सहायता का पैमाना 3000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया गया है।
रबर की खेती के लिए पैकेज
Rubber Farming: प्राकृतिक रबर क्षेत्र का सतत और समावेशी विकास' योजना के तहत रबर क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता अगले दो वित्तीय वर्षों (2024-25 और 2025-26) के लिए 576.41 करोड़ रुपये से 23 प्रतिशत बढ़ाकर 708.69 करोड़ रुपये कर दी गई है। इसके तहत सहायता की दर पहले के 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर कर दी गई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने यह जानकारी दी। बयान में कहा गया है कि रबर उद्योग को समर्थन देने के लिए 2024-25 और 2025-26 के दौरान 43.50 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पारंपरिक क्षेत्रों में 12,000 हेक्टेयर (हेक्टेयर) में रबर का रोपण किया जाएगा।
रबर पर अब 40 हजार हेक्टेर की मिलेगी मदद
मंत्रालय ने कहा है कि इसके लिए सहायता की दर पहले के 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर कर दी गई है। इससे उत्पादन की बढ़ी हुई लागत को कवर करने में मदद मिलेगी और साथ ही रबर की खेती के लिए उत्पादकों को अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलेगा। मंत्रालय ने कहा कि इसी अवधि के दौरान 18.76 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में अन्य 3.752 हेक्टेयर क्षेत्र को रबर की खेती के तहत लाया जाएगा।रबर बोर्ड द्वारा 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मूल्य की रोपण सामग्री की आपूर्ति की जाएगी। यह उत्तर पूर्व में इनरोड परियोजना के तहत किए जा रहे वृक्षारोपण के अतिरिक्त होगा। गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के उत्पादकों के लिए 2,00,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से रोपण सहायता प्रदान की जाएगी। इसमें कहा गया है कि अच्छी गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री (नया घटक) पैदा करने के लिए गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में बोर्ड द्वारा प्रायोजित नर्सरी को बढ़ावा दिया जाएगा। ऐसी 20 नर्सरियों को 2,50,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी।
अगले 2 साल में 250 आरपीएस बनेंगे
इसी तरह रबर उत्पादक सोसायटी (आरपीएस) को बढ़ावा देने के लिए अगले दो वर्षों में लगभग 250 नए आरपीएस के गठन के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। सहायता का पैमाना 3000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया गया है और इससे हितधारकों के समग्र लाभ के लिए किसान शिक्षा, सेमिनार, समूह बैठकें, क्षमता निर्माण गतिविधियां, एक्सपोजर विजिट, मॉडल फार्म और अन्य गतिविधियों का समर्थन करने में मदद मिलेगी। इसमें कहा गया है कि गैर-पारंपरिक और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में अन्य 1450 किसान समूहों के गठन का समर्थन किया जाएगा।
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