Rupee vs Dollar: रुपया में 2 साल की सबसे बड़ी गिरावट, डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर, जानिए क्या हैं वजहें?
Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट हो रही है। डॉलर के मुकाबले दो साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट हुई है। रुपया एक नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। जानिए इसकी वजहें क्या हैं।
रुपये में गिरावट जारी
Rupee vs Dollar: अमेरिकी मुद्रा में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बीच रुपया सोमवार को डॉलर के मुकाबले दो साल में एक दिन की सबसे बड़ी 58 पैसे की गिरावट के साथ 86.62 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 86.12 के भाव पर खुला और कारोबार के दौरान एक बार 86.11 पर पहुंचा। लेकिन अधिकांश समय यह नकारात्मक दायरे में ही रहा। कारोबार के अंत में रुपया 58 पैसे की भारी गिरावट के साथ 86.62 के अपने अबतक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ।
दो साल की सबसे बड़ी गिरावट
यह एक कारोबारी सत्र में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आई दो साल की सबसे बड़ी गिरावट है। इसके पहले छह फरवरी, 2023 को रुपये में 68 पैसे की बड़ी गिरावट आई थी। पिछले दो सप्ताह में रुपये में अमूमन गिरावट का ही रुख रहा है। रुपया 30 दिसंबर को 85.52 के स्तर पर बंद होने के बाद से पिछले दो सप्ताह में 1 रुपये से अधिक की बड़ी गिरावट देख चुका है। रुपया पहली बार 19 दिसंबर, 2024 को 85 प्रति डॉलर के पार गया था। पिछले कारोबारी दिवस शुक्रवार को रुपया 86.04 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था।
क्यों गिर रहा है रुपया?
अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये की कीमत में आई इस बड़ी गिरावट के लिए डॉलर की लगातार बढ़ती मांग और भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों की निकासी रही है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 2,254.68 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे थे। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों से करीब 22,194 करोड़ रुपये निकाले हैं। विश्लेषकों के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विदेशी मुद्रा भंडार में नरमी और उभरते बाजारों की मुद्राओं में गिरावट के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट की अनुमति दी है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि आरबीआई रुपये में कमजोरी की अनुमति देगा क्योंकि डॉलर की मांग बढ़ती जा रही है और आपूर्ति कम होती जा रही है। आरबीआई ने शुक्रवार को कहा था कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार तीन जनवरी को समाप्त सप्ताह में 5.69 अरब डॉलर घटकर 634.58 अरब डॉलर रह गया। विश्लेषकों के मुताबिक, इसी अवधि में अमेरिकी बाजार में उम्मीद से बेहतर रोजगार आंकड़ों के कारण डॉलर मजबूत हुआ जिससे अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल भी बढ़ गया है।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि मजबूत डॉलर और कमजोर वैश्विक बाजारों के कारण रुपया नए निचले स्तर पर पहुंच गया। एफआईआई शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं जबकि कच्चे तेल की कीमतों में करीब दो प्रतिशत की तेजी आई है। चौधरी ने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति रुपये पर आगे भी दबाव डाल सकती है। उन्होंने कहा कि डॉलर-रुपये का हाजिर भाव 86.25 से 86.80 के दायरे में रहने की उम्मीद है।
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.29 प्रतिशत बढ़कर 109.80 के अपने दो साल के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा था। अमेरिकी बॉन्ड पर प्रतिफल 0.48 प्रतिशत बढ़कर अक्टूबर, 2023 के स्तर 4.79 प्रतिशत पर पहुंच गया। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 1.12 प्रतिशत बढ़कर 80.65 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इस बीच, घरेलू स्तर पर बीएसई सेंसेक्स 1,048.90 अंक यानी 1.36 प्रतिशत गिरकर 76,330.01 अंक पर और एनएसई निफ्टी 345.55 अंक यानी 1.47 प्रतिशत के नुकसान के साथ 23,085.95 अंक पर बंद हुआ।
इसके अलावा अमेरिका ने रूस पर नए प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 81 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है। निवेशक निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार आने पर प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों की आशंका में पहले से ही सतर्क हैं।
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