Rupee against US dollar: रुपया 53 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.80 के नए सर्वकालिक निचेल स्तर पर
Rupee against US dollar: विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 85.31 प्रति डॉलर पर खुला। दिन के कारोबार के दौरान, रुपये ने 85.80 के नए निचले स्तर को छुआ, जो कि इस साल 22 मार्च के बाद से एक दिन में सबसे अधिक गिरावट थी। उस दिन रुपये ने 48 पैसे की गिरावट के साथ बंद किया था। इसके बाद, रुपये में कुछ सुधार हुआ और यह 42 पैसे की गिरावट के साथ 85.69 पर कारोबार कर रहा था।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया की कीमत।
Rupee against US dollar: रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 53 पैसे की गिरावट के साथ 85.80 के नए सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। यह पिछले छह महीनों में रुपये की सबसे बड़ी गिरावट थी। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी बॉण्ड प्रतिफल में लगातार वृद्धि और डॉलर की बढ़ती मांग इस गिरावट का मुख्य कारण है। इसके अलावा, घरेलू शेयर बाजार में सकारात्मक रुझान के बावजूद विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने रुपये को और दबाव में डाल दिया।
रुपये में इस वर्ष की सबसे बड़ी गिरावट
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 85.31 प्रति डॉलर पर खुला। दिन के कारोबार के दौरान, रुपये ने 85.80 के नए निचले स्तर को छुआ, जो कि इस साल 22 मार्च के बाद से एक दिन में सबसे अधिक गिरावट थी। उस दिन रुपये ने 48 पैसे की गिरावट के साथ बंद किया था। इसके बाद, रुपये में कुछ सुधार हुआ और यह 42 पैसे की गिरावट के साथ 85.69 पर कारोबार कर रहा था।
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और एफआईआई की बिकवाली का असर
रुपये की गिरावट में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारतीय मुद्रा पर दबाव डालते हैं। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड की कीमत 73.31 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई, जो 0.07 प्रतिशत बढ़ी थी। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) की बिकवाली ने भी रुपये की स्थिति को कमजोर किया। बृहस्पतिवार को एफआईआई ने 2,376.67 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।
डॉलर सूचकांक और तेल की कीमतों का प्रभाव
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, डॉलर सूचकांक में 0.08 प्रतिशत की बढ़त हुई, जो 107.98 के स्तर पर था। इस बढ़त से भी रुपये पर दबाव बढ़ा, क्योंकि डॉलर की मांग में वृद्धि हो रही थी।
रुपये में इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी बॉण्ड प्रतिफल और डॉलर की बढ़ती मांग है, साथ ही कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और एफआईआई की बिकवाली ने भी भारतीय मुद्रा पर दबाव डाला है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर यह प्रवृत्तियाँ जारी रहती हैं, तो रुपये में और गिरावट देखी जा सकती है।
भाषा इनपुट के साथ
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