2000 नोट की विदाई दे जाएगी ये फायदे, SBI ने कर ली बड़ी पड़ताल, इनके पास जा रहा है सबसे ज्यादा कैश
Rupees 2000 Note Cleanup And Benefits To Economy: SBI रिपोर्ट कहती है कि भले ही आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट जमा और एक्सचेंज करने का मौका दिया है। लेकिन इस बार का फैसला नोटबंदी से बेहद अलग है। क्योंकि उसने 2000 के नोटों को लीगल टेंडर बनाए रखा है। ऐसे में करीब 55000 करोड़ रुपये खपत में खर्च हो सकते हैं।

2000 रुपये के नोटों पर SBII की बड़ी पड़ताल
Rupees 2000 Note Cleanup And Benefits To Economy: 2000 रुपये के नोट वापसी के ऐलान को आज (19 जून) एक महीने हो गए हैं। इस एक महीने के दौरान लोगों ने या तो बैंक के 2000 के नोट जमा कराएं हैं या फिर उन्हें एक्सचेंज कराया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा 8 जून को दिए गए बयान के अनुसार, बैंकों को पास सर्कुलेशन में मौजूद 2000 के नोट में से आधे वापस आ गए थे। दास के अनुसार 1,80,000 करोड़ के नोट बैंकों में वापस आ गए थे। यही नहीं एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि 75 फीसदी लोग 2000 के नोट अपने बैंक खाते में जमा कर रहे हैं। और केवल 25 फीसदी ही ऐसे लोग नोट एक्सचेंज कर रहे हैं।
पिछले एक महीने की कवायद पर SBI रिसर्च टीम ने एक रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें उसने बताया है कि 2000 नोट की विदाई मोदी सरकार को कई फायदे देने वाली है। जिससे इकोनॉमी को बड़ा बूस्ट मिलने वाला है।
क्या कहती है SBI रिसर्च टीम की रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार जिस तरह लोग बड़ी मात्रा में 2000 के नोट जमा कर रहे हैं, उसे देखते हुए बैंकों की जमाओं में 1.50 लाख करोड़ रुपये का इजाफा (CASA) होने वाला है। 2 जून तक बैंकों की कुल जमाओं में 1.80 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। जिसमें बड़ी मात्रा 2000 रुपये के नोट की है। रिसर्च के अनुसार इस इजाफे से साफ है कि कॉरपोरेट के पास भी पर्याप्त मात्रा में नकदी बढ़ी है। और वह बैंकों में पैसा जमा कर रहे हैं। बैंकों की जमाएं बढ़ने का सीधा मतलब है कि वह उनके पास नकदी बढ़ जाएगी। और वह ज्यादा कर्ज दे सकेंगे। इस नकदी की वजह से बैंक करीब 92 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज दे सकेंगे। रिपोर्ट के अनुसार ऐसा लगता है कि गैस, पॉवर और केमिकल सेक्टर द्वारा सबसे जैसा पैसा जमा किया जा रहा है।
मंदिर, पेट्रोल पंप से लेकर इन्हें मिलेगा पैसा
रिपोर्ट यह भी कहती है कि भले ही आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट जमा और एक्सचेंज करने का मौका दिया है। लेकिन इस बार का फैसला नोटबंदी से बेहद अलग है। क्योंकि उसने 2000 के नोटों को लीगल टेंडर बनाए रखा है। ऐसे में करीब 55000 करोड़ रुपये खपत में खर्च हो सकते हैं। इसके तहत मदिंरों में दान बढ़ सकता है। पेट्रोल पंप पर 2000 के नोटों का इस्तेमाल बढ़ेगा। साथ ही महंगे टीवी, फ्रिज, मोबाइल फोन, सोने-चांदी आदि की बिक्री बढ़ सकती है।
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