रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर, 83.33 के लेवल पर पहुंचा, जानें क्यों जारी है गिरावट
Indian Rupees At Lowest Level: रुपए में ताजा गिरावट के बाद विदेशी मुद्रा भंडार और भी गिर गया है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से आरबीआई के पास रुपए को स्थिर करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने की गुंजाइश कम है, जिससे भारतीय मुद्रा कमजोर हो रही है।
रुपये में रिकॉर्ड गिरावट
Indian Rupees At Lowest Level: रुपया अबने सबसे निचले स्तर पर आ गया है। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया नौ पैसे टूटकर 83.33 (अस्थायी) प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया । भारतीय रुपए को बदली भू-राजनितिक परिस्थितयों की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी बांड पर अधिक यील्ड और वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने डॉलर की मांग बढ़ा दी है। जिसका असर रूपये पर दिख रहा है। बाजार विश्लेषकों के अनुसार, हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपने भंडार से अमेरिकी डॉलर जारी कर रुपए को स्थिर रखने में सफल रहा है, लेकिन यह एक सीमा से आगे जारी नहीं जा सकता क्योंकि भारत के विदेशी मुद्रा कोष में लगातार कमी हो रही है।
विदेशा मुद्रा भंडार घटना चिंता का विषय
बुधवार को दोपहर से पहले के कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.27 पर कारोबार कर रहा था, जो पिछले सत्र में 83.25 पर था।रुपए को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.29 के निचले स्तर से नीचे गिरने से रोकने के लिए आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार हस्तक्षेप कर रहा है।27 अक्टूबर को जारी आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 20 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.36 अरब डॉलर घटकर 583.53 अरब डॉलर रह गया।
हालांकि पिछले सप्ताह देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.15 अरब डॉलर बढ़ गया, जिससे पांच हफ्ते की गिरावट कुछ रुकी। 6 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14.166 अरब डॉलर घटकर पांच महीने के निचले स्तर 584.74 अरब डॉलर पर आ गया था।रूपए में ताजा गिरावट के बाद विदेशी मुद्रा भंडार और भी गिर गया है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से आरबीआई के पास रुपए को स्थिर करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने की गुंजाइश कम है, जिससे भारतीय मुद्रा कमजोर हो रही है।
राजकोषीय घाटा 7 लाख करोड़ के पार
चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर) में भारत का राजकोषीय घाटा 7.02 लाख करोड़ रुपये था, जो पूरे साल के अनुमान का 39.3 फीसदी है। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। राजकोषीय घाटा उस राशि को दर्शाता है, जिससे सरकार का खर्च आय से ज्यादा हो जाता है और इस अंतर को उधार के जरिए पूरा किया जाता है।अप्रैल-सितंबर के दौरान सरकार द्वारा जुटाया गया शुद्ध कर राजस्व 11.6 लाख करोड़ रुपये या वार्षिक अनुमान का 49.8 प्रतिशत था, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 10.12 लाख करोड़ रुपये था।आंकड़ों से पता चलता है कि कॉर्पोरेट टैक्स संग्रह साल दर साल 20 फीसदी बढ़कर 4.51 लाख करोड़ रुपये हो गया।इस अवधि के दौरान कुल व्यय 21.19 लाख करोड़ रुपये था जो वार्षिक लक्ष्य का 47.1 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि के 18.24 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े से अधिक था।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | बिजनेस (business News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
End of Article
संबंधित खबरें
GDP Base Year: बदलेगा जीडीपी का आधार वर्ष! 2011-12 से बदलकर 2022-23 करने पर विचार कर रही सरकार
Petrol Diesel Price Cut: पेट्रोल-डीजल कीमतों में कटौती 'अटकी', करना पड़ सकता है और इंतजार
'विकसित भारत' बनाने में बैंकों की होगी महत्वपूर्ण भूमिका, बोलीं सीतारमण- इसमें हम और तेजी लाएंगे
Gold-Silver Rate Today 19 September 2024: सोना हुआ सस्ता, मगर चांदी के बढ़े रेट, 88000 रु के ऊपर पहुंची सिल्वर, यहां जानें अपने शहर के रेट
Food Processing Sector: फूड प्रोसेसिंग सेक्टर पर सरकार का खास फोकस, ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए कर रही प्रयास
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited