Saffron Production In India: उत्तर-पूर्वी राज्यों में बढ़ेगी केसर की खेती, जानिए क्या है सरकार की तैयारी
Saffron Production In India: केंद्र सरकार कृषि आय में सुधार के लिए राज्य सरकारों के सहयोग से सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में केसर की खेती बढ़ाने के उपाय कर रही है। केसर एक महंगा मसाला है, जिसकी कीमत न्यूनतम 3.5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है।
भारत में केसर उत्पादन
मुख्य बातें
- उत्तर-पूर्वी राज्यों में बढ़ेगी केसर की खेती
- सरकार की है खास तैयारी
- 3.5 लाख रु प्रति किलो होती है कीमत
Saffron Production In India: केंद्र सरकार कृषि आय में सुधार के लिए राज्य सरकारों के सहयोग से सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में केसर की खेती बढ़ाने के उपाय कर रही है। केसर एक महंगा मसाला है, जिसकी कीमत न्यूनतम 3.5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है और यह चिकित्सीय गुणों के साथ बायोएक्टिव यौगिकों से भरपूर है। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त निकाय, नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच (एनईसीटीएआर) ने वर्ष 2020 में प्रायोगिक परियोजना की शुरुआत की थी। एनईसीटीएआर के महानिदेशक अरुण सरमा के अनुसार टेस्टिंग के तहत सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम में 64 किसानों को बीज दिए गए और प्रायोगिक परियोजना में केसर के बीज और फूलों की उपज औसत से ऊपर थी।
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पूर्वोत्तर की मिट्टी और जलवायु उपयुक्त
अधिकारी के अनुसार केसर की खेती की प्रायोगिक परियोजना में पाया गया कि पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों की मिट्टी और जलवायु केसर की खेती के लिए उपयुक्त हैं। बीबीसी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का लगभग 90% केसर उत्पादन कश्मीर से होता है, जहाँ इसे सदियों से उगाया जाता रहा है। सिर्फ 1 किलो केसर पैदा करने में 200,000 से 300,000 फूल लग सकते हैं।
कश्मीर में घटी केसर की खेती की जमीन
कश्मीर में केसर उत्पादन के लिए समर्पित जमीन की मात्रा कम हो गई है। 1996 में लगभग 5,700 हेक्टेयर भूमि इसकी फसल के लिए थी, जो 2020 तक घटकर 1,120 रह गई। केसर के खेतों में कस्बों और गांवों का विस्तार, और किसानों के लिए सिंचाई और प्रशिक्षण में निवेश की कमी इसके बड़े कारण हैं।
कहा जाता है लाल सोना
कश्मीर का पंपोर भारत में केसर का केंद्र है। केसर इतना मूल्यवान है कि इसे कभी-कभी लाल सोना भी कहा जाता है। क्रोकस पौधे से प्राप्त केसर की कीमत लाखों रु प्रति किलो है। अक्टूबर और नवंबर में पंपोर के चारों ओर के खेत बैंगनी हो जाते हैं क्योंकि यहां क्रोकस पौधे खिलते हैं।
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काशिद हुसैन author
काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर व...और देखें
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