Kesar Price: केसर की कीमतों में जबरदस्त उछाल, बिक रहा है 4.95 लाख रुपए किलो, ये है वजह
Kesar Price: बेहतरीन स्वाद, सौंदर्य प्रसाधन और दवाओं इस्तेमाल के लिए फेमस केसर की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। अब खुदरा बाजार में इसकी कीमत 4.95 लाख रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है।
केसर की कीमतों भारी इजाफा (तस्वीर-Canva)
Kesar Price: पश्चिम एशिया में देशों में तनाव के बीच ईरान से केसर की सप्लाई में भारी गिरावट हुई। इससे भारतीय उत्पादकों और व्यापारियों को फायदा हो रहा है। केसर दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक उत्पादकों और व्यापारियों ने कहा कि भारतीय केसर की कीमतें थोक स्तर पर 20% से अधिक और खुदरा दुकानों में करीब 27% की वृद्धि हुई है। जिसकी खेती जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों में की जाती है। उन्होंने कहा कि सबसे अच्छी गुणवत्ता वाला भारतीय केसर अब थोक बाजार में 3.5-3.6 लाख रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहा है, जबकि पश्चिम एशिया में देशों के बीच हो रही लड़ाई से पहले यह 2.8-3 लाख रुपये प्रति किलोग्राम था। अब खुदरा बाजार में इसकी कीमत 4.95 लाख रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। ईरान करीब 430 टन के सालाना उत्पादन के साथ केसर उत्पादन में दुनिया में नंबर वन है, यह पूरी दुनिया का 90% हिस्सा है। केसर अपने बेहतरीन स्वाद के लिए जाना जाता है और भोजन, सौंदर्य प्रसाधन और दवाओं में उपयोग किया जाता है।
इस वजह से बढ़ी कीमत
वैश्विक बाजारों में ईरान की अनुपस्थिति ने भारतीय केसर की कीमतों को बढ़ा दिया है। भारत ईरान से भी केसर आयात करता है। मध्यपूर्व में इजराइल के साथ तनाव शुरू होने के बाद इसमें भी कमी आई है। श्रीनगर में अमीन-बिन-खालिक कंपनी के मालिक नूर उल अमीन बिन खालिक ने कहा कि कीमतें करीब हर दिन बढ़ रही हैं।
इतनी कीमत कभी नहीं बढ़ी
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नई स्थित बेल सैफ्रन के सह-संस्थापक नीलेश पी मेहता ने कहा कि उन्होंने केसर की कीमतों में इतनी बढ़ोतरी कभी नहीं देखी है। मेहता का परिवार 50 वर्षों से अधिक समय से व्यवसाय में है। उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व तनाव, कम उत्पादन के साथ, केसर की कीमतों पर असर पड़ा है। साथ ही जीआई टैग ने भारतीय केसर को विश्व बाजारों में महंगा बना दिया है।
भारत इन देशों को करता है निर्यात
भारत संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल और कनाडा में केसर भेजता है। सेफ्रॉन जिसे हिंदी में केसर के नाम से जाना जाता है। इसमें 160-180 फूलों से लिए गए तंतु शामिल होते हैं। पौधों को उगाना और कटाई करना एक श्रम-केंद्रित प्रक्रिया है।
पिछले कुछ वर्षों में उत्पादन घटा
पिछले कुछ वर्षों में केसर का उत्पादन घट रहा है। वित्तीय आयुक्त (राजस्व) कार्यालय के अनुमान का हवाला देते हुए केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने फरवरी में कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का केसर उत्पादन 2010-11 में 8 टन से घटकर 2023-24 में 2.6 टन हो गया, जो लगभग 67.5% की गिरावट है।
कश्मीरी केसर बेहतर गुणवत्ता वाला
पंपोर जिले के अलावा केसर बडगाम और श्रीनगर और जम्मू के किश्तवाड़ जिले की परिधि में भी उगाया जाता है। फसल वर्ष अक्टूबर में शुरू होता है। कश्मीरी केसर, जिसे 2020 में यह टैग प्राप्त हुआ। बेहतर गुणवत्ता वाला माना जाता है। हालांकि यह 60-65 टन की वार्षिक मांग के मुकाबले 3 टन का भी उत्पादन नहीं कर रहा है, जो 13 साल पहले के उत्पादन के एक तिहाई से भी कम है।
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