सरदार पटेल की एक सलाह और बन गया Amul, चंद किसानों की मेहनत से कमाए 72000 करोड़ रु

Amul Success Story: आजादी के पहले बिचौलिये दूध बेचने वाले किसानों का शोषण करते थे। मगर बाद में दूध ही विरोध का प्रतीक बन गया। बिचौलियों द्वारा शोषण को रोकने के लिए 1946 में अमूल की शुरुआत की गई। इसकी शुरुआत स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित होकर की गई थी।

Amul Success Story

अमूल की सफलता की कहानी

मुख्य बातें
  • 1946 में शुरू हुआ अमूल
  • FY 23 में 72000 करोड़ रहा टर्नओवर
  • कुछ किसानों ने की थी शुरुआत

Amul Success Story: भारत में बहुत कम ऐसे लोग होंगे, जिन्हें अमूल (Amul) के बारे में न पता हो। अमूल ब्रांड का कोई न कोई प्रोडक्ट अधिकतर घरों में पहुंचता है। अमूल ब्रांड के दूध के अलावा भी कई डेयरी प्रोडक्ट मार्केट में मिलते हैं, जिनमें मक्खन, दूध, चीज़, पनीर दही, पनीर सॉस, बेवरेज रेंज, ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स, अमूल प्रोटीन प्रोडक्ट और आइसक्रीम शामिल हैं। मगर अमूल का दूध सबसे ज्यादा फेमस है। क्या आप जानते हैं कि अमूल की शुरुआत कैसे हुई थी और इसका कारोबार कहां पहुंच चुका है। आगे जानिए अमूल की कामयाबी की पूरी कहानी।

ये भी पढ़ें - कोटक महिंद्रा बैंक की कमान फिर एक खिलाड़ी को ! एक खेलता था क्रिकेट दूसरा है मेराथन का चैम्पियन

आजादी के पहले शुरू हुई कहानी

आजादी के पहले बिचौलिये दूध बेचने वाले किसानों का शोषण करते थे। मगर बाद में दूध ही विरोध का प्रतीक बन गया। बिचौलियों द्वारा शोषण को रोकने के लिए 1946 में अमूल की शुरुआत की गई। इसकी शुरुआत स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित होकर की गई थी।

कुछ किसानों ने की थी शुरुआत

74 से अधिक वर्षों पहले गुजरात के छोटे से शहर आणंद में कुछ किसानों ने स्थानीय ट्रेड कार्टेल के शोषणकारी व्यापार चलन से टक्कर लेने के लिए सहकारी आंदोलन की शुरुआत, जो कि दूध से जुड़ा था। किसानों ने समाधान के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) से संपर्क किया।

उन्होंने उन्हें बिचौलियों से छुटकारा पाने के लिए किसानों को खुद की सहकारी समिति बनाने की सलाह दी, जिसमें खरीद, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग उनके नियंत्रण में हो।

किसानों ने की हड़ताल

1946 में, इस क्षेत्र के किसानों ने कार्टेल का डर निकालकर दूध हड़ताल की और मोरारजी देसाई और त्रिभुवनदास पटेल जैसे नेताओं के मार्गदर्शन में, खुद की सहकारी समिति बनाई। यह सहकारी समिति, कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड, केवल दो ग्राम डेयरी सहकारी समितियों और 247 लीटर दूध के साथ शुरू हुई। 1948 में इन गांवों की संख्या 432 हो गई थी।

फाउंड चेयरमैन त्रिभुवनदास पटेल के नेतृत्व और डॉ वर्गीस कुरियन के प्रतिबद्ध प्रोफेशनलिज्म की बदौलत अमूल लगातार मजबूत होता गया। कुरियन को 1950 में डेयरी चलाने का काम सौंपा गया था।

आज कितना है कारोबार

अमूल की फुल फॉर्म है - आणंद मिल्क यूनियन लिमिटेड। अब यह गुजरात सरकार की गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) के अंतर्गत आने वाली एक सहकारिता समिति है। आज अमूल डेली 2.70 करोड़ लीटर दूध का कारोबार करती है। 18600 गांव के 36.4 लाख किसान अमूल से जुड़े हुए हैं।

GCMMF ने 98 डेयरी प्लांट का नेटवर्क भी बनाया है। वित्त वर्ष 2022-23 में अमूल का टर्नओवर 72,000 करोड़ रु से अधिक रहा।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। बिजनेस (Business News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited