Household Savings: भारत में बचत दर पूरी दुनिया के औसत से हुई अधिक, GDP में बढ़ा शेयर-डिबेंचर का हिस्सा
Household Savings In India: कुल घरेलू बचत में शुद्ध वित्तीय बचत की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 में 36 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में लगभग 52 प्रतिशत हो गई है, हालांकि, वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 के दौरान हिस्सेदारी में कमी आई है।
भारत में बचत दर
- भारत में बचत दर बढ़ी
- ग्लोबल एवरेज से हुई अधिक
- भारत की बचत दर 30.2 प्रतिशत
Household Savings In India: एसबीआई की सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत की बचत दर वैश्विक औसत से आगे निकल गई है। देश में वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इंक्लूजन) में उछाल आया है और अब 80 प्रतिशत से अधिक वयस्कों के पास फॉर्मल फाइनेंशियल अकाउंट हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की बचत दर 30.2 प्रतिशत है, जो वैश्विक औसत 28.2 प्रतिशत से अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है, विभिन्न उपायों के कारण, भारत के वित्तीय समावेशन में जबरदस्त सुधार हुआ है और अब भारत में 80 प्रतिशत से अधिक वयस्कों के पास फॉर्मल फाइनेंशियल अकाउंट है, जबकि 2011 में यह लगभग 50 प्रतिशत था, जिससे भारतीय परिवारों की बचत दर के वित्तीयकरण में सुधार हो रहा है।
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शुद्ध वित्तीय बचत की हिस्सेदारी
कुल घरेलू बचत में शुद्ध वित्तीय बचत की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 में 36 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में लगभग 52 प्रतिशत हो गई है, हालांकि, वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 के दौरान हिस्सेदारी में कमी आई है।
वित्त वर्ष 2024 के रुझान बताते हैं कि फिजिकल बचत की हिस्सेदारी फिर से घटने लगी है।
वित्तीय बचत में बैंक जमा/मुद्रा की हिस्सेदारी घटी
भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय बचत में बैंक जमा/मुद्रा की हिस्सेदारी घट रही है और म्यूचुअल फंड आदि जैसे निवेश के नए रास्ते उभर रहे हैं।
पिछले 10 वर्षों में, पूंजी बाजारों से भारतीय कंपनियों द्वारा जुटाए गए फंड में 10 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, जो वित्त वर्ष 2014 में 12,068 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में अक्टूबर तक 1.21 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
शेयरों और डिबेंचर में परिवारों की बचत
शेयरों और डिबेंचर में परिवारों की बचत वित्त वर्ष 2014 में 0.2 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1 प्रतिशत हो गई है और घरेलू वित्तीय बचत में हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से बढ़कर 5 प्रतिशत हो गई है।
इससे पता चलता है कि परिवार अब देश की पूंजी जरूरतों में तेजी से योगदान दे रहे हैं। क्षेत्रवार आंकड़ों से पता चलता है कि संख्या और मूल्य दोनों के लिहाज से पश्चिमी क्षेत्र की हिस्सेदारी अधिक है, जबकि मध्य क्षेत्र की हिस्सेदारी 3 प्रतिशत से कम है। (इनपुट - आईएएनएस)
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