इस कंपनी ने अंबानी की रिलायंस को भी दी मात, प्रॉफिट रेस में रह गए पीछे!
सोमवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर एसबीआई का मार्केट कैप 5,47,391.06 करोड़ रुपये और आरआईएल का मार्केट कैप 17,61,702.93 करोड़ रुपये है।
एसबीआई ने अंबानी की रिलांयस को भी दी मात!
नई दिल्ली। मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) दशकों तक भारत की सबसे ज्यादा लाभदायक कंपनी रही है। लेकिन चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यह खिताब आरआईएल से भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को मिल गया। इस दौरान देश के सरकारी सेक्टर के सबसे बड़े बैंक ने 14,752 करोड़ रुपये की शुद्ध इनकम अर्जित की है। इसी तिमाही में, अंबानी के तेल-से-दूरसंचार समूह का टैक्स के बाद समेकित लाभ 13,656 करोड़ रुपये रहा। मालूम हो कि तिमाही के दौरान आरआईएल को अपने निर्यात पर अप्रत्याशित कर में 4,039 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
13000 करोड़ से ज्यादा रहा एसबीआई का शुद्ध लाभ
स्टैंडअलोन आधार पर देखें तो, 30 सितंबर 2022 को समाप्त तीन महीने की अवधि के दौरान भारतीय स्टेट बैंक का शुद्ध लाभ 13,265 करोड़ रुपये रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही के दौरान वित्तीय वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही की तुलना में सरकारी सेक्टर के ऋणदाता का टैक्स के बाद लाभ 73.93 फीसदी बढ़ा।
रिलायंस की शुद्ध इनकम
मार्केट कैप के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस की बात करें, तो कंपनी की शुद्ध इनकम में जियो प्लेटफॉर्म्स (Jio) से 4,729 करोड़ रुपये और रिटेल आर्म से 4,404 करोड़ रुपये शामिल हैं, जो पिछले साल की समान तिमाही में 13,680 करोड़ रुपये से थोड़ी कम है।
और ज्यादा हो सकती थी एसबीआई की इनकम
एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा (Dinesh Kumar Khara) ने कहा कि अगर बैंक ने तिमाही के दौरान ट्रेजरी प्रॉफिट बुक किया होता तो बैंक की शुद्ध आय बहुत अधिक होती।
इतनी रही शुद्ध ब्याज इनकम
वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही के दौरान एसबीआई का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 21,120 करोड़ रुपये रहा, जो कि पिछले साल की समान तिमाही के18,079 करोड़ रुपये से 16.82 फीसदी ज्यादा है। एसबीआई की शुद्ध ब्याज इनकम एक साल पहले की अवधि में 31,184 करोड़ रुपये से 12.83 फीसदी बढ़कर 35,183 करोड़ रुपये हो गई है।
इस अवधि के दौरान बैंक की लोन वृद्धि साल दर साल 19.93 फीसदी थी, जिसमें डोमेस्टिक एडवांस में साल दर साल 18.15 फीसदी की वृद्धि हुई। मालूम हो कि भारत के सबसे बड़े ऋणदाता ने भी इस अवधि के दौरान 21,220 करोड़ रुपये का प्री प्रोविजन लाभ भी दर्ज किया, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 18,079 करोड़ रुपये पर था।
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