SEBI: सेबी की नजर डेरिवेटिव सौदों पर, नियमों में सख्ती लाने की तैयारी, जानें क्या दिया प्रपोजल

SEBI: डेरिवेटिव अनुबंधों के लिए न्यूनतम कांट्रैक्ट साइज को दो चरणों में संशोधित किया जाना चाहिए। पहले चरण के तहत, शुरुआत में डेरिवेटिव अनुबंध का न्यूनतम मूल्य 15 से 20 लाख रुपये के बीच होना चाहिए। जबकि छह महीने के बाद दूसरे चरण के तहत न्यूनतम मूल्य 20 से 30 लाख रुपये के बीच रखा जाना चाहिए।

सेबी की सख्ती

SEBI: बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने सट्टेबाजी आधारित कारोबार पर लगाम लगाने के लिए न्यूनतम कांट्रैक्ट साइज में संशोधन और विकल्प प्रीमियम के अग्रिम संग्रह का प्रावधान कर इंडेक्स डेरिवेटिव के नियमों को कड़ा करने का प्रस्ताव रखा।सेबी का यह प्रस्ताव केंद्रीय बजट में डेरिवेटिव खंड में खुदरा कारोबारियों की अत्यधिक दिलचस्पी से उपजी चिंताओं को दूर करने के लिए एक अक्टूबर से वायदा एवं विकल्प (F&O) सौदों पर प्रतिभूति लेनदेन कर (STT) बढ़ाने की घोषणा के कुछ दिनों बाद आया है।इससे पहले, आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट 2023-24 में भी डेरिवेटिव कैटेगरी में रिटेल निवेशकों की बढ़ती रुचि पर चिंता जताई थी। समीक्षा के मुताबिक, एक विकासशील देश में सट्टा कारोबार की कोई जगह नहीं है।

कैसे होगी सख्ती

बाजार नियामक ने कहा कि व्यापक बाजार मापदंडों में देखी गई वृद्धि को देखते हुए सूचकांक डेरिवेटिव अनुबंधों के लिए न्यूनतम कांट्रैक्ट साइज को दो चरणों में संशोधित किया जाना चाहिए। पहले चरण के तहत, शुरुआत में डेरिवेटिव अनुबंध का न्यूनतम मूल्य 15 लाख रुपये से 20 लाख रुपये के बीच होना चाहिए।सेबी के मुताबिक, छह महीने के बाद दूसरे चरण के तहत अनुबंध का न्यूनतम मूल्य 20 लाख रुपये और 30 लाख रुपये के बीच रखा जाना चाहिए।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अपने परामर्श पत्र में साप्ताहिक सूचकांक उत्पादों को तर्कसंगत बनाने, सौदे के दायरे की दिन में कारोबार के दौरान निगरानी, कीमतों को वाजिब बनाने, एफएंडओ सौदों के निपटान के दिन कैलेंडर स्प्रेड लाभ को हटाने और निकट अनुबंध समाप्ति मार्जिन को बढ़ाने जैसे उपायों का प्रस्ताव रखा है।सेबी ने इन प्रस्तावों पर 20 अगस्त तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं।

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