SME IPO: सेबी एसएमई IPO के नियम करेगा सख्त, शेयरों में हेरा-फेरी का शक

SME IPO: इसके पहले बुधवार को सेबी ने बुनिवेशकों को ऐसी छोटी एवं मझोली कंपनियों (SME) के शेयरों में अपना पैसा लगाने के खिलाफ आगाह किया था। जो अपने परिचालन की झूठी तस्वीर पेश करके शेयर मूल्य में हेरफेर करती हैं। सेबी ने कहा था कि यह बात संज्ञान में आई है कि लिस्टिंग के बाद कुछ एसएमई कंपनियां या उनके प्रमोटर्स ऐसी घोषणाएं कर रहे हैं, जिनसे उनके ऑपरेशन की पॉजीटिव छवि बनती है।

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एसएमई आईपीओ पर सेबी होगा सख्त

SME IPO: पूंजी बाजार नियामक SEBI, एसएमई आईपीओ (SME IPO) की निगरानी करने वाले नियमों को कड़ा करेगा। इन बदलावों में बेहतर निगरानी और लेखा परीक्षकों के मोर्चे पर कड़ी जांच शामिल हो सकती है। यह कदम उठाने के संकेत सेबी द्वारा निवेशकों को कई लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) के भ्रामक कारोबारी अनुमानों के बारे में आगाह करने के कुछ दिन बाद आए हैं। सेबी इस साल के अंत से पहले इस पहलू पर एक परिचर्चा पत्र लाने की तैयारी में है।

CA पर सेबी सदस्य ने उठाए सवाल

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया ने कहा कि पूंजी बाजार नियामक एसएमई आईपीओ की निगरानी करने वाले नियमों को कड़ा करेगा। भाटिया ने कहा कि इन बदलावों में बेहतर निगरानी और लेखा परीक्षकों के मोर्चे पर कड़ी जांच शामिल हो सकती है। उन्होंने कहा कि यदि चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) अपना काम लगन से करें तो समस्याओं से बचा जा सकता है।
यह टिप्पणी सेबी द्वारा निवेशकों को कई लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) के भ्रामक कारोबारी अनुमानों के बारे में आगाह करने के कुछ दिन बाद आई है।भाटिया ने बताया कि इस वर्ष के अंत से पहले इस पहलू पर एक परिचर्चा पत्र लाने की योजना है। भाटिया ने कहा कि प्राथमिक निर्गम वित्त वर्ष के पहले पांच माह में ही दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गए हैं, जबकि पिछले पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 1.97 लाख करोड़ रुपये का था।

सेबी पहले भी कर चुका है अलर्ट
इसके पहले बुधवार को सेबी ने बुनिवेशकों को ऐसी छोटी एवं मझोली कंपनियों (SME) के शेयरों में अपना पैसा लगाने के खिलाफ आगाह किया था। जो अपने परिचालन की झूठी तस्वीर पेश करके शेयर मूल्य में हेरफेर करती हैं। सेबी ने कहा था कि यह बात संज्ञान में आई है कि लिस्टिंग के बाद कुछ एसएमई कंपनियां या उनके प्रमोटर्स ऐसी घोषणाएं कर रहे हैं, जिनसे उनके ऑपरेशन की पॉजीटिव छवि बनती है। ऐसी घोषणाओं के बाद बोनस निर्गम, शेयर विभाजन और प्रीफरेंस शेयर जैसी विभिन्न कॉरपोरेट कार्रवाइयां की जाती हैं। इस तरह की कंपनियों में निवेश से बचना चाहिए।
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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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