F&O Segment: SEBI ने फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट के लिए सख्त किए नियम, जानिए एक्सपायरी को लेकर क्या बदले रूल
SEBI New Rules For F&O: 1 अप्रैल 2025 से सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों को इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए मौजूदा पोजीशन लिमिट की निगरानी करने का निर्देश दिया है, क्योंकि एक्सपायरी के दिन हेवी वॉल्यूम के बीच स्वीकार्य लिमिट से अलग पोजीशन बनाए जाने का जोखिम है।
एफएंडओ के लिए सेबी के नए नियम
मुख्य बातें
- फ्यूचर एंड ऑप्शन के बदले नियम
- 6 रूल्स में बदलाव
- सेबी ने सख्त किए नियम
SEBI New Rules For F&O: मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने ऐलान किया है कि वह फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) के हाई रिस्क को रेगुलेट करने के लिए एक नया फ्रेमवर्क लागू करेगा, जिसमें कॉन्ट्रैक्ट का साइज 5-10 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करना और वीकली एक्सपायरी को प्रति एक्सचेंज एक तक सीमित करना सहित छह उपाय किए जाएंगे। नए नियम 20 नवंबर से लागू होना शुरू होंगे।
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ऑप्शन खरीदारों से ऑप्शन प्रीमियम का अपफ्रंट कलेक्शन
एंड-क्लाइंट को किसी भी अनुचित इंट्राडे लीवरेज (चार्ज) से बचने के लिए, और एंड-क्लाइंट लेवल पर कोलेट्रोल से अलग किसी भी पॉजिशन की अनुमति देने की किसी भी प्रेक्टिस को रोकने के लिए, ट्रेडिंग मेंबर (टीएम)/क्लियरिंग मेंबर (सीएम) द्वारा ऑप्शन खरीदारों से ऑप्शन प्रीमियम का अपफ्रंट कलेक्शन अनिवार्य होगा।
सेबी ने कहा कि अपफ्रंट मार्जिन कलेक्शन आवश्यकता में क्लाइंट लेवल पर नेट ऑप्शन प्रीमियम में भी शामिल होगा। ये नियम 1 फरवरी 2025 से आएगा।
एक्सपायरी के दिन कैलेंडर स्प्रेड ट्रीटमेंट को हटाना
फ्यूचर एक्सपायरी डेज की तुलना में एक्सपायरी के दिन अपेक्षाकृत बड़ी मात्रा में देखी गई वॉल्यूम और इससे पैदा होने वाले अधिक जोखिम को देखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि अलग-अलग एक्सपायरी ('कैलेंडर स्प्रेड') में ऑफसेटिंग पोजीशन का लाभ उस दिन एक्सपायर होने वाले कॉन्ट्रैक्ट के लिए एक्सपायरी के दिन उपलब्ध नहीं होगा। ये नियम भी 1 फरवरी 2025 से लागू होगा।
इंट्राडे में पोजीशन लिमिट की निगरानी
1 अप्रैल 2025 से सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों को इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए मौजूदा पोजीशन लिमिट की निगरानी करने का निर्देश दिया है, क्योंकि एक्सपायरी के दिन हेवी वॉल्यूम के बीच स्वीकार्य लिमिट से अलग पोजीशन बनाए जाने का जोखिम है।
इंडेक्स डेरिवेटिव के लिए कॉन्ट्रैक्ट का साइज
20 नवंबर, 2024 से सेबी ने इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस के लिए मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट साइज को वर्तमान में 5-10 लाख रुपये से बढ़ाकर बाजार में पेश किए जाने के समय 15 लाख रुपये कर दिया है।
इसके अलावा, लॉट साइज इस तरह से तय किया जाएगा कि रिव्यू के दिन डेरिवेटिव की कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू 15 लाख रुपये से 20 लाख रुपये के बीच हो।
वीकली इंडेक्स एक्सपायरी को प्रति एक्सचेंज एक तक सीमित करना
20 नवंबर से शेयर बाजार को एक दिन में एक एक्सपायरी के नियम से छुटकारा मिलेगा, जिसे बाजार में सट्टा गतिविधि बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। एक्सपायरी के दिन इंडेक्स डेरिवेटिव्स में अत्यधिक ट्रेडिंग की समस्या को हल करने के लिए, साप्ताहिक आधार पर एक्सपायर होने वाले एक्सचेंजों द्वारा पेश किए जाने वाले इंडेक्स डेरिवेटिव्स प्रोडक्ट्स को युक्तिसंगत (रेशनलाइज) बनाने का निर्णय लिया गया है।
ऑप्शंस एक्सपायरी के दिन टेल रिस्क कवरेज में वृद्धि
ऑप्शन पोजिंशंस और उससे जुड़े जोखिमों के इर्द-गिर्द बढ़ती सट्टा गतिविधि को देखते हुए, सेबी ने शॉर्ट ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के लिए 2% का अतिरिक्त ELM (एक्सट्रीम लॉस मार्जिन) लगाकर टेल रिस्क कवरेज बढ़ाने का फैसला किया है।
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काशिद हुसैन author
काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें
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