सर्विसेज PMI 13 साल के टॉप पर, जुलाई में 63.5 के पर पहुंचा, भारत के मुकाबले चीन का बुरा हाल

PMI In July:​सर्विसेज PMI का लगातार बेहतर प्रदर्शन करना भारतीय इकोनॉमी की मजबूती का संकेत है। पीएमआई में करीब 400 सर्विसेज कंपनियों के रिस्पॉन्स पर सूचकांक तैयार किया जाता है।इसमें नान-रिटेल सर्विसेज, कम्यूनिकेशन, इंफॉर्मेशन, ट्रांसपोर्ट, फाइनेंस, इंश्योरेंस, रियल एस्टेट आदि से जुड़ी कंपनियां शामिल होती हैं।

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इकोनॉमी में मजबूती

PMI In July: जुलाई में सर्विसेज PMI 13 साल के टॉप पर पहुंच गया है। एस एंड पी ग्लोबल (S&P Global) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में सर्विसेज PMI 58.5 से बढ़कर 62.3 के स्तर पर आ गया है। जो कि 13 साल का सबसे हाई लेवल है। इसके पहले जुलाई में कंपोजिट PMI भी 59.4 से बढ़कर 61.9 के स्तर पर आ गया है। यह लगातार 24 वां महीना है जब सर्विसेज PMI 50 के लेवल से ज्यादा है। सर्विसेज PMI का 60 से ज्यादा होने का मतलब है कि देश में सर्विस सेक्टर बेहतर प्रदर्शन रहा है।

इकोनॉमी के लिए अच्छे संकेत

सर्विसेज PMI का लगातार बेहतर प्रदर्शन करना भारतीय इकोनॉमी की मजबूती का संकेत है। पीएमआई में करीब 400 सर्विसेज कंपनियों के रिस्पॉन्स पर सूचकांक तैयार किया जाता है।इसमें नान-रिटेल सर्विसेज, कम्यूनिकेशन, इंफॉर्मेशन, ट्रांसपोर्ट, फाइनेंस, इंश्योरेंस, रियल एस्टेट आदि से जुड़ी कंपनियां शामिल होती हैं। जिनके रिस्पांस और तय अंक के आधार पर टोटल सूचकांक तैयार होता है। इसलिए इकोनॉमी की सेहत का बेहतर अंदाजा लगता है।

इसके पहले जून के महीने में सर्विसेज PMI 58.5 के लेवल पर था। पीएमआई के मानक में 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार होना है। यदि यह 50 से नीचे है, तो इसका मतलब गतिविधियों के कॉन्ट्रैक्शन से होता है।

चीन का बुरा हाल

एक तरफ जहां भारतीय इकोनॉमी बेहतर प्रदर्शन कर रही है। वहीं चीन की इकोनॉमी का बुरा हाल है। बीते सोमवार को जारी चीन का मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग इंडेक्स (PMI)50 फीसदी से कम रहकर 49.3 पर आ गया। इसकी वजह चीन के निर्यात में कमी आना रहा है। निर्यात में कमी के चलते चीन की विनिर्माण गतिविधियां जुलाई में घट गईं, जिससे सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी पर आर्थिक मंदी को दूर करने का दबाव और बढ़ गया है। एचएसबीसी के एरिन शिन ने एक रिपोर्ट में कहा कि चीन का विनिर्माण पीएमआई कांट्रैक्शन दर्शा रहा है, बाहरी क्षेत्र में दबाव बढ़ गया है। ऐसे में चीन को राजकोषीय और मौद्रिक उपायों के जरिए ग्रोथ को सपोर्ट करना पड़ सकता है।

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