Google:गूगल को NCLAT से झटका, देनी होगी 1337.76 करोड़ रुपये पेनॉल्टी
NCLAT On Google: CCI ने गूगल की इस अपील को खारिज कर दिया कि प्रतिस्पर्धा आयोग ने जांच में प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन किया है। पिछले साल 20 अक्टूबर को गूगल पर एंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के मामले में गैर-प्रतिस्पर्धी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर जुर्माना लगा था।
गूगल पर सीसीआई ने लगाई थी पेनॉल्टी
Google Fine: सर्च इंजन गूगल को बड़ा झटका लगा है। बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने गूगल के मामले में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के फैसले को बरकरार रखा है। इस फैसले से गूगल को 30 दिनों के अंदर 1,337.6 करोड़ रुपये की पेनॉल्टी चुकानी होगी। CCI ने गूगल पर एंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के मामले में प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों में शामिल होने का दोषी पाते हुए जुर्माना लगाया था। इसी आधार पर NCLAT ने अपने फैसले में पेनॉल्टी की राशि को 30 दिन के अंदर चुकाने को आदेश दिया है।
संशोधन के साथ फैसला
मामले पर फैसला देते हुए एनसीएलएटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति अशोक भूषण और सदस्य आलोक श्रीवास्तव की पीठ ने प्रतिस्पर्धा आयोग के आदेश में कुछ संशोधन भी किये हैं।अपीलीय न्यायाधिकरण ने गूगल की इस अपील को खारिज कर दिया कि प्रतिस्पर्धा आयोग ने जांच में प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन किया है। सीसीआई ने पिछले साल 20 अक्टूबर को गूगल पर एंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के मामले में गैर-प्रतिस्पर्धी गतिविधियों में शामिन होने को लेकर 1,337.6 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। नियामक ने कंपनी ने विभिन्न अनुचित व्यापार गतिविधियों से बचने और उनसे दूर रहने को भी कहा है। प्रतिस्पर्धा आयोग के इस आदेश को में NCLAT में चुनौती दी गई थी।
ये भी कहा
प्रतिस्पर्धा आयोग के आदेश में जो सुधार किये गये हैं, उसमें गूगल सुइट सॉफ्टवेयर को हटाने के लिये अनुमति से संबंधित कुछ हिस्सा शामिल है।गूगल ने अपनी याचिका में दावा किया था कि प्रतिस्पर्धा आयोग की उसके खिलाफ जांच ‘निष्पक्ष’ नहीं थी। जिन दो लोगों की शिकायत पर आयोग ने जांच शुरू की थी, वे उसी कार्यालय में काम कर रहे थे जो गूगल की जांच कर रहा था।कंपनी की दलील के अनुसार, सीसीआई भारतीय उपयोगकर्ताओं, ऐप विकसित करने वालों के सबूतों की अनदेखी करते हुए ‘निष्पक्ष, संतुलित और कानूनी रूप से ठोस जांच’ करने में विफल रहा। वहीं अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी के समक्ष प्रतिस्पर्धा आयोग की तरफ से दलीलों को पूरा करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमण ने कहा था कि सभी इकाइयों के लिये खुली छूट की व्यवस्था मुक्त प्रतिस्पर्धा के सिद्धांत के अनुरूप होगी। प्रौद्योगिकी कंपनी का ‘चारदिवारी से घिरे एकाधिकार’ वाला रुख सही नहीं है।
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