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Shaktikanta Das: शक्तिकांत दास की विदाई आज, कैसा रहा 25वें RBI गवर्नर का कार्यकाल

Shaktikanta Das: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गर्वनर के तौर पर शक्तिकांत दास का मंगलवार (10 दिसंबर 2024) को आखिरी दिन है। सरकार ने उनकी जगह राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को आरबीआई का नया गवर्नर नियुक्त किया है। आइए जानते हैं 25वें गवर्नर के तौर पर दास का कार्यकाल कैसा रहा।

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Shaktikanta Das 6 साल तक रहे आरबीआई गवर्नर

Shaktikanta Das: छह साल तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की कमान संभालने वाले शक्तिकांत दास मंगलवार (10 दिसंबर 2024) को केंद्रीय बैंक के 25वें गवर्नर का अपना कार्यकाल पूरा कर दायित्व से मुक्त हो रहे हैं। सरकार ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को आरबीआई का नया गवर्नर नियुक्त किया है। मल्होत्रा आरबीआई के 26वें गवर्नर होंगे। इस नियुक्ति के साथ ही दास को आरबीआई गवर्नर के तौर पर तीसरा कार्यकाल मिलने की चर्चाएं थम गईं। इसके पहले वह गवर्नर के तौर पर दिसंबर 2018 से तीन-तीन साल के दो कार्यकाल व्यतीत कर चुके हैं।

6 साल रहे आरबीआई गवर्नर

दास को ऊर्जित पटेल के अचानक गवर्नर पद छोड़ने के बाद पहली बार 12 दिसंबर, 2018 को आरबीआई की कमान सौंपी गई थी। बीते छह वर्षों में उन्हें अमेरिका स्थित ‘ग्लोबल फाइनेंस’ पत्रिका ने दो बार सर्वश्रेष्ठ केंद्रीय बैंकर भी घोषित किया। दास ने आरबीआई गवर्नर के तौर पर पिछले हफ्ते मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता भी की। बैठक खत्म होने के बाद दास ने कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने निरंतर उथल-पुथल और झटकों का सफलतापूर्वक सामना किया है।

कई मुद्दों को चतुराई से किया हल

दास को आरबीआई मुख्यालय में अपना कार्यभार संभालने के साथ ही अधिशेष हस्तांतरण के मुद्दे पर पैदा हुए विवाद को निपटाना पड़ा था। उन्होंने न केवल बाजार की चिंताओं को दूर किया बल्कि सरकार को अधिशेष हस्तांतरण से संबंधित मुद्दों को चतुराई से हल भी किया। उसके एक साल बाद ही भारत समेत पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी के चंगुल में फंस गई थी। एक प्रमुख आर्थिक नीति निर्माता के रूप में दास को लॉकडाउन से उपजे व्यवधानों के प्रबंधन की चुनौती का भी सामना करना पड़ा। उस समय दास ने रेपो दर को 4 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर लाने का विकल्प चुना। हालांकि, महामारी से उबरने के बाद दास की अगुवाई वाली एमपीसी ने आर्थिक वृद्धि को तेज करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने की तेजी दिखाई।

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