राजनीति के 'अंगद' बने शिवराज, किसान बना बड़ा वोट बैंक, इसलिए सर पर बना हुआ है ताज

Shivraj Singh Chauhan landslide Victory: शिवराज सिंह चौहान के दौर में राज्य में कृषि क्षेत्र में कई ऐसे काम हुए हैं, जिसने न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है, बल्कि किसानों को भी रिफॉर्म के फायदे मिले हैं। चौहान पहली बार नवंबर 2005 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।

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सफलता का राज

Shivraj Singh Chauhan landslide Victory: मध्य प्रदेश में एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने सत्ता हासिल कर ली है। शिवराज सिंह चौहान के हाथों में राज्य की कमान करीब 15 वर्षों से है। और यह कारनामा करने वाले वह भाजपा के पहले मुख्यमंत्री हैं। इस बार की बंपर जीत में यह माना जा रहा है कि चुनावों से 10 महीने पहले शुरू की गई लाड़ली बहन योजना का सबसे अहम योगदान रहा है। लेकिन एक सवाल यह भी है कि ऐसा क्या है कि शिवराज सिंह चौहान पिछले 15 वर्षों से राज्य की सत्ता पर अंगद की तरह जम गए हैं, उन्हें हराना एक तरह से कांग्रेस के लिए नामुमकिन सा हो गया है। तो उसके पीछे एक बड़ा वोट बैंक किसान है, जिसने उनके कार्यकाल में काफी बदलाव देखा है। शिवराज सिंह चौहान के दौर में राज्य में कृषि क्षेत्र में कई ऐसे काम हुए हैं, जिसने न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है, बल्कि किसानों को भी रिफॉर्म के फायदे मिले हैं।

कितने साल से मुख्यमंत्री

शिवराज सिंह चौहान पहली बार नवंबर 2005 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद वह 2018 तक मुख्यमंत्री बने रहे। लेकिन 2018 के चुनावों में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी, जो कि 15 महीने में गिर गई। और फिर 23 मार्च 2020 को शिवराज चौथी बार मुख्यमंत्री बने। इस तरह शिवराज सिंह 15 वर्षों से राज्य की कमान संभाल रहे हैं।

खेती में किए बड़े बदलाव

.शिवराज सिंह के दौर में खेती के क्षेत्र में राज्य की तस्वीर में काफी बदलाव आया है। अगर पिछले 10 साल के दौरान कृषि क्षेत्र में ग्रोथ की बात की जाय तो साल 2014-23 के बीच कृषि क्षेत्र में सालना औसतन 6.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जबकि पूरे देश के स्तर पर यह 3.9 फीसदी रही है। इसी तरह राज्य देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां पर कृषि क्षेत्र की राज्य की जीडीपी में 18 फीसदी से बढ़कर 40 फीसदी तक पहुंच गई है।

.सिंचाई क्षमता में पिछले 20 साल में करीब 7 गुना इजाफा हुआ 2003 में एमपी में सिर्फ साढ़े 7 लाख हेक्टेयर जमीनसिंचित थी। जो अब करीब 47 लाख हेक्टेयर पहुंच गई है। इसी तरह एक खेत से साल में कई बार उत्पादन लेने के मामले में राज्य ने तेजी से बढ़ोतरी की है। जिसमें पिछले 20 साल में 48 फीसदी का इजाफा हुआ है।

. गेहूं की सरकारी खरीद साल 2004-05 में केवल 0.5 मिलियन टन थी। जो 2019-20 तक देश के टॉप-3 राज्यों में शामिल हो गया और कुल सरकारी खरीद में राज्या की हिस्सेदारी 33 फीसदी पहुंच चुकी थी।

.इसके अलावा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत मिलने वाला 6000 रुपये की राशि के अलावा मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत 6000 रुपये अतिरिक्त राशि दी जाती है। इसके अलावा भावांतर योजना के तहत गेहूं के अलावा दूसरी फसलों पर एमएसपी और बाजार कीमत के अंतर की भरपाई सरकार करती है।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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