Digital Rupee: नोट की तरह यूज होगा ई-रुपया, RBI ऑफलाइन लेन-देन की कर रहा है तैयारी

Digital Rupee, e-rupees:आरबीआई, सीबीडीसी यानी ई-रुपये को ऑफलाइन ढंग से भी हस्तांतरण के लायक बनाने पर काम कर रहा है। जिससे डिजिटल करंसी को नोट की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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ई-रुपया

Digital Rupee, e-rupees:आने वाले समय में आप डिजिटल करंसी को नोट की तरह इस्तेमाल कर सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि लेनदेन को स्थायी रूप से हटाकर ई-रुपये यानी केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) के जरिये लेनदेन को ऐसा बनाया जा सकता है, जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं होगा। इससे यह कागजी मुद्रा के समकक्ष हो सकती है। उन्होंने कहा कि सीबीडीसी को ऑफलाइन ढंग से भी हस्तांतरण के लायक बनाने पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नकदी की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसे काम करने के लिए नेटवर्क कनेक्टिविटी की जरूरत नहीं होती है। इसका मतलब यह है कि बिना इंटरनेट के भी डिजिटल रुपये का लेन-देन कैश की तरह हो सकेगा।

आरबीआई की क्या है प्लानिंग

भारत अपने वित्तीय समावेशन लक्ष्यों में मदद के लिए प्रोग्रामेबिलिटी फीचर पेश करने के साथ सीबीडीसी को ऑफलाइन मोड में भी हस्तांतरित किए जाने लायक बनाने पर काम कर रहा है।वर्ष 2022 के अंत में सीबीडीसी की प्रायोगिक शुरुआत के बाद से ही इसकी गोपनीयता को लेकर चिंताएं रही हैं। कुछ लोगों का कहना है कि डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल किए जाने पर लेनदेन का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड दर्ज हो जाएगा जबकि नकद लेनदेन में एक गोपनीयता रहती है।
दास ने कहा कि गोपनीयता के मसले का समाधान कानून और/या प्रौद्योगिकी से किया जा सकता है। मसलन, लेनदेन को स्थायी रूप से हटाकर। इसके पीछे मूल सिद्धांत यह है कि सीबीडीसी में नकदी की ही तरह गोपनीयता हो सकती है, न अधिक और न ही कम। इस मौके पर आरबीआई गवर्नर ने दोहराया कि भारत सीबीडीसी को ऑफलाइन ढंग से भी हस्तांतरण के लायक बनाने पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि नकदी की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसे काम करने के लिए नेटवर्क कनेक्टिविटी की जरूरत नहीं होती है।

ई-रुपया का होगा विस्तार
इसके साथ ही दास ने कहा कि अपने तमाम प्रयासों के बावजूद आरबीआई अब भी खुदरा उपयोगकर्ताओं के बीच यूपीआई (एकीकृत भुगतान मंच) को प्राथमिकता देता है। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे चलकर स्थिति बदल जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि आरबीआई ने यूपीआई के साथ सीबीडीसी के पारस्परिक इस्तेमाल को भी सक्षम किया है।दास ने कहा कि भारत ने बैंक मध्यस्थता के किसी भी संभावित जोखिम को कम करने के लिए सीबीडीसी को ब्याज से मुक्त कर इसे गैर-लाभकारी बना दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक सीबीडीसी बनाता है जबकि बैंक इसे वितरित करते हैं। उन्होंने कहा कि ई-रुपये की पहुंच बढ़ाने के लिए आरबीआई ने हाल ही में पायलट चरण में गैर-बैंकों की भागीदारी की घोषणा की है। उम्मीद है कि बैंकों की पहुंच का लाभ सीबीडीसी के वितरण और मूल्यवर्धित सेवाएं देने में किया जा सकता है।
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