S&P Rating: एस एंड पी ने भारत के आउटलुक को स्थिर से किया पॉजिटिव, नई सरकार को मिलेगा फायदा
S&P Rating: एसएंडपी ने कहा कि सकारात्मक आउटलुक हमारे इस नजरिए को प्रतिबिंबित करता है कि निरंतर नीतिगत स्थिरता, गहन आर्थिक सुधार तथा उच्च बुनियादी ढांचा निवेश दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाओं को बनाए रखेंगे।
एस एंड पी ने भारत के आउटलुक में किया बदलाव
S&P Rating Gives Positive Outlook For India:एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग (S&P Rating) ने भारत के साख (रेटिंग) आउटलुक को ‘स्थिर’ से बढ़ाकर ‘सकारात्मक’ कर दिया है। साथ ही मजबूत वृद्धि और सरकारी व्यय की बेहतर गुणवत्ता के आधार पर रेटिंग को ‘BBB-’ पर बरकरार रखा गया है। एसएंडपी ने कहा कि यदि भारत सतर्क राजकोषीय और मौद्रिक नीति अपनाता है जिससे सरकार के बढ़े हुए कर्ज तथा ब्याज के बोझ में कमी आती है और आर्थिक जुझारू क्षमता बढ़ती है तो वह अगले दो साल में भारत की साख को बढ़ा सकती है। एसएंडपी का यह फैसला, आरबीआई के लाभांश की उस घोषणा के बाद आया है, जिसमें उसने केंद्र सरकार को रिकॉर्ड 2.1 लाख करोड़ रुपये का लाभांश देने का ऐलान किया है। इसके बाद से यह कयास लगाए जा रहे हैं, नई सरकार इस पैसे का इस्तेमाल अपने राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए कर सकती है।
क्यों आउटलुक किया सकारात्मक
एसएंडपी ने कहा, ‘‘ सकारात्मक आउटलुक हमारे इस नजरिए को प्रतिबिंबित करता है कि निरंतर नीतिगत स्थिरता, गहन आर्थिक सुधार तथा उच्च बुनियादी ढांचा निवेश दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाओं को बनाए रखेंगे।’’एसएंडपी ने भारत के लिए आउटलुक को ‘स्थिर’ से संशोधित कर ‘सकारात्मक’ कर दिया है। साथ ही ‘बीबीबी-’ दीर्घकालिक और 'ए-3' अल्पकालिक विदेशी तथा स्थानीय मुद्रा सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग दी है।
बाकी रेटिंग एजेंसियों का क्या है नजरिया
‘बीबीबी-’ सबसे निचली निवेश श्रेणी रेटिंग है। एजेंसी ने पिछली बार 2010 में रेटिंग आउटलुक को ‘नकारात्मक’ से बढ़ाकर ‘स्थिर’ किया था।अमेरिका की एजेंसी ने कहा कि यदि भारत का राजकोषीय घाटा सार्थक रूप से कम होता है और परिणामस्वरूप सामान्य सरकारी ऋण संरचनात्मक आधार पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के सात प्रतिशत से नीचे आ जाता है, तो वह रेटिंग बढ़ा सकती है।सभी तीन प्रमुख वैश्विक रेटिंग एजेंसियों एसएंडपी, फिच और मूडीज ने भारत को सबसे निम्न निवेश ग्रेड रेटिंग दे रही है।हालांकि, फिच और मूडीज ने अपनी रेटिंग पर अब भी ‘स्थिर’ परिदृश्य कायम रखा है।निवेशक इन रेटिंग को देश की साख के मापदंड के तौर पर देखते हैं और इसका उधार लेने की लागत पर प्रभाव पड़ता है।
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