S&P India GDP: एस एंड पी ने भारत का ग्रोथ रेट अनुमान बढ़ाया, बोला-6.4 नहीं 6.8 फीसदी से बढ़ेगी इकोनॉमी

S&P India GDP: एक तरफ जहां एस एंड पी ने भारत की ग्रोथ रेट में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है, वबीं चीन की जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2025 में 5.2 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 4.6 फीसदी होने की संभावना है। एसएंडपी ने कहा कि हमारा यह पूर्वानुमान प्रॉपर्टी में लगातार कमजोरी और दूसरे अहम फैक्टर्स के चलते है।

INDIA GDP GROWTH RATE

भारत की जीडीपी ग्रोथ में होगा इजाफा

S&P India GDP:एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अगले वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान बढ़ा दिया है। एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 6.8 फीसदी कर दिया है।अमेरिकी एजेंसी ने पिछले साल नवंबर में मजबूत घरेलू गति के बीच वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वृद्धि 6.4 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया था।चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.6 प्रतिशत की ग्रोथ होने का अनुमान है।

क्यों बढ़ाया अनुमान

एसएंडपी ने एशिया प्रशांत के लिए अपने ‘इकोनॉमिक आउटलुक’ में कहा कि एशियाई उभरती बाजार (ईएम) अर्थव्यवस्थाओं के लिए हम आम तौर पर मजबूत वृद्धि का अनुमान लगाते हैं, जिसमें भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस और वियतनाम अग्रणी हैं। एजेंसी के अनुसार, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसी बड़े पैमाने पर घरेलू मांग-आधारित अर्थव्यवस्थाओं में घरेलू खर्च करने की क्षमता पर उच्च ब्याज दरों और मुद्रास्फीति के प्रभाव ने दूसरी छमाही में क्रमिक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि को कम किया है। एसएंडपी ने कहा कि हमे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024-25 (मार्च 2025 को समाप्त) में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत हो जाएगी।

कब सस्ता होगा लोन

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2024 तक ब्याज दरों में 0.75 फीसदी तक की कटौती होने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में कम महंगाई दर, कम राजकोषीय घाटा और फेड रिजर्व की कटौती के माहोल में भारतीय रिजर्व बैंक के लिए दरों में कटौती शुरू करने के लिए आधार तैयार करेगा।

एक तरफ जहां एस एंड पी ने भारत की ग्रोथ रेट में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है, वबीं चीन की जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2025 में 5.2 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 4.6 फीसदी होने की संभावना है। एसएंडपी ने कहा कि हमारा यह पूर्वानुमान प्रॉपर्टी में लगातार कमजोरी और दूसरे अहम फैक्टर्स के चलते है। अगर खपत कमजोर रहती है तो डिफ्लेशन एक जोखिम बना रहता है।

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