एक स्कूटर से शुरू हुआ था सहारा, पॉलिटिक्स से लेकर बॉलीवुड तक था जलवा, जानें कैसे डूबा साम्राज्य
Sahara India Downfall Reason: सहारा इंडिया परिवार के फाउंडर सुब्रत रॉय के परिवार की जड़ें अररिया, बिहार में थीं, लेकिन वे गोरखपुर में बस गए थे। रॉय अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ तुर्कमानपुर इलाके में एक किराए के मकान में रहते थे।
सहारा के डूबने का कारण क्या है
मुख्य बातें
- सुब्रत रॉय ने 2000 रु से की थी शुरुआत
- शुरू में स्कूटर पर बेचते थे स्नैक्स
- आज भी सहारा की वैल्य 2.95 लाख करोड़
Sahara India Downfall Reason: आज केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सहारा इंडिया रिफंड पोर्टल (Sahara India Refund Portal) लॉन्च किया, जिसे ''केंद्रीय पंजीयक-सहारा रिफंड पोर्टल'' (Central Registrar of Cooperative Societies-Sahara Portal) नाम दिया गया है। इससे उन लोगों को अपना रिफंड पाने में मदद मिलेगी, जिनके पैसे सहारा इंडिया में फंसे हैं।
मगर सहारा इंडिया परिवार (Sahara India Pariwar) में कैसे लोगों का पैसा फंसा और कैसे एक समय चमकता सितारा रहे सुब्रत रॉय (Subrata Roy) के अर्श से फर्श पर आ गए, आगे जानिए पूरी कहानी।
एक स्कूटर से की शुरुआत
सहारा इंडिया परिवार के फाउंडर सुब्रत रॉय के परिवार की जड़ें अररिया, बिहार में थीं, लेकिन वे गोरखपुर में बस गए थे। रॉय अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ तुर्कमानपुर इलाके में एक किराए के मकान में रहते थे।
उनके पिता एक चीनी मिल में काम करते थे, जिनकी मृत्यु के बाद रॉय को बिजनेस में हाथ आजमाना पड़ा। रॉय ने लैंब्रेटा स्कूटर पर स्नैक्स बेचने से शुरुआत की।
2000 रु से शुरू किया था बिजनेस
तस्वीर साभार : BCCL
2000 रु से शुरू किया बिजनेस
सहारा इंडिया की वेबसाइट के अनुसार रॉय की कामयाबी की कहानी 1978 में शुरू हुई। केवल 2000 रु की मामूली रकम के साथ उन्होंने सहारा की शुरुआत की, जो एक पैरा-बैंकिंग वेंचर था। आज इस ग्रुप की कुल नेटवर्थ 2,59,900 करोड़ रु है।
इन लोगों पर किया फोकस
सहारा ने शुरू में चाय-स्टॉल मालिक और रिक्शा-चालक पर फोकस किया, जो डेली कम से कम 1 रुपये बचाते और उस पैसे को सहारा ग्रुप की प्रमुख कंपनी सहारा इंडिया फाइनेंशियल को सौंपते। अगले तीन दशकों में, यह भारत की सबसे बड़ी रेसीडुअरी नॉन-बैंकिंग कंपनी बन गई।
क्या लगा सहारा पर आरोप
टैक्सकंसेप्ट के अनुसार सहारा ग्रुप ने ऑप्शनली फुली कंवर्टिबल डिबेंचर (ओएफसीडी) जारी कर पैसा जुटाने का नया तरीका निकाला। मगर ये रेगुलेटर के अधीन नहीं था। 2008 और 2011 के बीच, सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SHICL) ने इस तरीके से करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए। निवेशकों को हाई रिटर्न का वादा किया गया।
पर सेबी ने आरोप लगाया कि इन कंपनियों ने ओएफसीडी के जरिए पैसे जुटाने की अनुमति नहीं ली और निवेशकों को पूरी जानकारी न देकर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का उल्लंघन किया।
सेबी की सख्ती
फिर सेबी ने कंपनियों को ओएफसीडी के जरिए पैसा जुटाना बंद करने और निवेशकों को ब्याज के साथ पैसा लौटाने का आदेश दिया, लेकिन ग्रुप ने इस आदेश को एसएटी और बाद में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। अगस्त 2012 में, सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के आदेश को बरकरार रखा और सहारा समूह को निवेशकों को तीन किश्तों में ब्याज के साथ पैसा वापस करने का निर्देश दिया, जो आज तक नहीं मिला है और इसी के लिए नया पोर्टल लॉन्च किया गया है।
लगातार हुई कार्रवाई
एक समय था जब सहारा की एयरलाइन थी, इसके कई होटल थे और ये क्रिकेट टीम की स्पॉन्सर थी। पर धीरे-धीरे सब कुछ डूबता गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सहारा ग्रुप और सुब्रत रॉय पर कार्रवाई हुई, जिसके चलते ग्रुप की ढेरों एसेट्स जब्त हुईं। साथ ही सुब्रत रॉय को जेल भी जाना पड़ा।
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काशिद हुसैन author
काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर व...और देखें
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