Godrej Split: इस स्वदेशी कंपनी ने अंग्रेजों को दिखाई थी हैसियत, देश को दिया बैलेट बॉक्स-स्प्रिंग ताला

Godrej Success Story: जब यूरोप में गोदरेज के ग्राहकों ने टूल्स पर 'मेड इन इंडिया' देखा तो उन्हें ऐसा करने से रोका। जवाब में अर्देशिर ने अपना बिजनेस बंद कर दिया। उनका अगला कारोबार ताले का था।

गोदरेज का इतिहास है अनोखा

मुख्य बातें
  • गोदरेज का हो सकता है बंटवारा
  • कभी अंग्रेजों से ली थी टक्कर
  • 1918 में बनाया पहला वनस्पति तेल से बना साबुन

Godrej Success Story: 126 साल पुराना गोदरेज ग्रुप (Godrej Group) बंटवारे की ओर बढ़ रहा है। इसकी शुरुआत 1897 में दो भाइयों अर्देशिर गोदरेज (Ardeshir Godrej) और पिरोजशा गोदरेज (Pirojsha Godrej) ने की थी। आज ये 1.76 लाख करोड़ रु की वैल्यू के साथ भारत के टॉप बिजनेस ग्रुप में शामिल हैं। गोदरेज ने 1897 में शुरुआत ताले बनाने से की थी। भारत में लीवर टेक्नोलॉजी वाला पहला ताला पेश करने का श्रेय भी गोदरेज को ही दिया जाता है। उसके बाद कैसा रहा गोदरेज का सफर, आगे जानिए।

अर्देशिर गोदरेज का था आइडिया

अर्देशिर गोदरेज एक राष्ट्रवादी थे, जिनका मानना था कि भारत यूरोप जितने अच्छे प्रोडक्ट डिजाइन कर सकता है। अर्देशिर ने करियर की शुरुआत एक वकील के रूप में की। मगर उनहोंने अपनी प्रैक्टिस छोड़ दी और अपने पिता के दोस्त से पैसा उधार लेकर सर्जिकल टूल बनाना शुरू किया।

यूरोप के ग्राहक इसलिए हुए नाराज

जब यूरोप में गोदरेज के ग्राहकों ने टूल्स पर 'मेड इन इंडिया' देखा तो उन्हें ऐसा करने से रोका। जवाब में अर्देशिर ने अपना बिजनेस बंद कर दिया। उनका अगला कारोबार ताले का था। मुंबई, जिसे उस समय बंबई कहा जाता था, में अपराध बढ़ने के कारण यह आइडिया चल गया। अर्देशिर ने अपने समय के हिसाब से काफी एडवांस्ड ताले बनाए। उन्होंने 1907 में दुनिया के पहले स्प्रिंगलेस ताले का पेटेंट भी कराया।

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